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मुक्तक खिल गए पुष्प फिर से बसंत में। सौंधी सी महक

मुक्तक
खिल गए पुष्प फिर से बसंत में।
सौंधी सी महक फिर से बसंत में।
कूके कोकिल भी गुनगुनाती हुई।
सब रहे हैं बहक फिर से बसंत में।

©Dr Nutan Sharma Naval
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