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शून्य से शिखर की यात्राऐं और अंतरंगता अपेक्षित भ

शून्य से शिखर की  यात्राऐं
और अंतरंगता 
अपेक्षित भावों की
अकेले  ही तय 
करता रहा मन
वस्तुतः  विलगाव में  भी 
समेकित समग्रता 
का बो़ध
हावी  रहा
अंतर्मुखी  मन 
चिंतन अभिशप्त 
सीमाऐं  तोड़कर 
विविधताओं  में 
सब कुछ वैसा हीं
ढूंढता है 
जिसका भान 
सिर्फ  मुझे है
स्वयं  के बुने  प्रश्नों 
के दुशाले की  उष्मा 
में समशीतोष्ण  मृगतृष्णा!! 
                       प्रीति 

 #मनोभाव 
#मृगतृष्णा
#yqdidihindi
शून्य से शिखर की  यात्राऐं
और अंतरंगता 
अपेक्षित भावों की
अकेले  ही तय 
करता रहा मन
वस्तुतः  विलगाव में  भी 
समेकित समग्रता 
का बो़ध
हावी  रहा
अंतर्मुखी  मन 
चिंतन अभिशप्त 
सीमाऐं  तोड़कर 
विविधताओं  में 
सब कुछ वैसा हीं
ढूंढता है 
जिसका भान 
सिर्फ  मुझे है
स्वयं  के बुने  प्रश्नों 
के दुशाले की  उष्मा 
में समशीतोष्ण  मृगतृष्णा!! 
                       प्रीति 

 #मनोभाव 
#मृगतृष्णा
#yqdidihindi