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सुप्रभातम् मित्राणि प्राप्यापदं न व्यथते कदाचिदुद

सुप्रभातम् मित्राणि

प्राप्यापदं न व्यथते कदाचिदुद्योगमन्विच्छति चाप्रमत्त:।
दु:खं च काले सहते महात्मा धुरन्धरस्तस्य जिता: सपत्ना:।।

जो व्यक्ति मुसीबत के समय भी कभी विचलित नहीं होता, बल्कि सावधानी से अपने काम में लगा रहता है, विपरीत समय में दु:खों को हंसते-हंसते सह जाता है, उसके सामने शत्रु टिक ही नहीं सकते;वे तूफान में तिनकों के समान उड़कर छितर जाते हैं।


संस्कृतं मम जीवनध्येयम् #संस्कृति #संस्कार #संस्कृत #सुप्रभात 


#AWritersStory  Radhika sweety Krishna dwivedi
सुप्रभातम् मित्राणि

प्राप्यापदं न व्यथते कदाचिदुद्योगमन्विच्छति चाप्रमत्त:।
दु:खं च काले सहते महात्मा धुरन्धरस्तस्य जिता: सपत्ना:।।

जो व्यक्ति मुसीबत के समय भी कभी विचलित नहीं होता, बल्कि सावधानी से अपने काम में लगा रहता है, विपरीत समय में दु:खों को हंसते-हंसते सह जाता है, उसके सामने शत्रु टिक ही नहीं सकते;वे तूफान में तिनकों के समान उड़कर छितर जाते हैं।


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