सुप्रभातम् मित्राणि प्राप्यापदं न व्यथते कदाचिदुद्योगमन्विच्छति चाप्रमत्त:। दु:खं च काले सहते महात्मा धुरन्धरस्तस्य जिता: सपत्ना:।। जो व्यक्ति मुसीबत के समय भी कभी विचलित नहीं होता, बल्कि सावधानी से अपने काम में लगा रहता है, विपरीत समय में दु:खों को हंसते-हंसते सह जाता है, उसके सामने शत्रु टिक ही नहीं सकते;वे तूफान में तिनकों के समान उड़कर छितर जाते हैं। संस्कृतं मम जीवनध्येयम् #संस्कृति #संस्कार #संस्कृत #सुप्रभात #AWritersStory