मुहब्बत सच्ची हो तो दिखावे का क्या वज़ूद है खुदा को खुदाई के सिवा देना क्या था महबूब क़ी कब्र के पास ही मेहबूबा क़ी भी कब्र बनी थी न जाने इश्क का उन दोनों पऱ कौनसा भूत सवार था पथर के जिगर वालो को शीशे के महल मे देखा गया कितना अजीब है कि इसके बावज़ूद शीशे का महल महफूज़ था ©Parasram Arora मुहब्बत सच्ची.... हो तो