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बचपन में जो अंधेरा खाने को दौड़ता था आज युवावस्था

बचपन में जो अंधेरा खाने को दौड़ता था
आज युवावस्था में वो ही है
 जो सकून देता है
जिस अंधकार से कभी डर लगता था
आज अगर एक पल भी वो ना मिले
 तो लगता की जैसे
ये उजाला,
ये चकाचौंध ये जमाना,,
 ये दुनिया का शोर शराबा
लोगों का कौतूहल
समाज का अतिक्रमण
जूठे अपनों की चिल्लाहट,
 झुंझलाहट,चीड़ चीड़,
अपनों की ये जूठी दिखावे की जगमगाहट
कहीं निगल ना जाए ,
डर लगता है

©Rakesh frnds4ever
  #ChaltiHawaa
बचपन  में जो #अंधेरा  खाने को #दौड़ता  था
आज युवावस्था में वो ही है
 जो #सकून न देता है
जिस #अंधकार  से कभी डर लगता था
आज अगर एक पल भी वो ना मिले
 तो लगता की जैसे
ये #उजाला ,

#ChaltiHawaa बचपन में जो #अंधेरा खाने को #दौड़ता था आज युवावस्था में वो ही है जो #सकून न देता है जिस #अंधकार से कभी डर लगता था आज अगर एक पल भी वो ना मिले तो लगता की जैसे ये #उजाला , #दुनिया #ज़िन्दगी #समाज #rakeshfrnds4ever

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