अँधेरी रात के बाद, सुनहरी सुबह फिर आयेगी, जगाये रखना उम्मीद,ज़िंदगी फिर मुस्कुरायेगी। हटेंगे ग़म के साये, ज़ारी है ख़ुशियों की तलाश, उदासी के आँगन में, यूँ हँसी फिर चहचहायेगी। छोड़ कर चिंताएँ, विश्वास ईश्वर पर रखना होगा, भक्ति देकर शक्ति यूँ ही हिम्मत फिर बढ़ायेगी। एक ही नाव के सवार सब, सब हैं यहाँ मजबूर, बढ़ें थामे उनका हाथ, ये दुआएँ फिर बचायेंगी। नहीं कोई कमी, किसी से क्यों कुछ माँगें 'धुन', आज नहीं तो कल, ठंडी फुहार फिर जगायेगी। ♥️ Challenge-544 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।