हसरतों को चाँद की खूँटी पे टांग आये हैं, इस बार खुदा से कुछ भी कहने सुनने माँगने की सारी गुँजाइशें खत्म की हमने बस अपने आँशूओं को आसमाँ में टाँक के आये है कि जब खुदा चले तो धुल जाये चरण उनके और शायद याद आ जाये उन्हें गम मेरे पारुल शर्मा हसरतों को चाँद की खूँटी पर टांग आये है इस बार खुदा से कुछ.... भी कहने सुनने माँगने की सारी गुँजाइशें खत्म की हमने बस अपने आँशूओं को आसमाँ में टाँक के आये है कि जब खुदा चले तो