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यूँ राख उड़ाना ठीक नहीं मेरे ख़त जलाना ठीक न

यूँ   राख   उड़ाना  ठीक  नहीं
मेरे  ख़त जलाना ठीक  नहीं

किसी अजनबी  मेहमान को
घर  पर  बुलाना   ठीक  नहीं

यह   बस्ती    है  अन्धों   की
इन्हें  राह दिखाना ठीक नहीं

जो  ऊँचे हैं  रुतबे  में  तुमसे
उन्हें दोस्त बनाना ठीक नहीं

सूरत  नहीं  सीरत  भी  देखो
चेहरे पे  मर जाना ठीक नहीं

दिल की बात कह  'गुरविंदर'
मन में गुनगुनाना ठीक  नहीं

©Gurvinder Matharu
  Unknown Guest
#DesiPoet
gurvindermatharu5678

Honey Honey

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