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बचपन से नारी को संस्कारों की चादर उढाई गई। दुनिया

बचपन से नारी को संस्कारों की चादर उढाई गई।
दुनिया की हर रीति सदा नारी को समझाई गई।
नारी होने के सारे ही फर्ज उसे गिनाए गए,
कभी बेटी, कभी बहन तो कभी पत्नी बनने के,
मां बनकर नारी ने ही सबको पाला, जब 
नारी संस्कारों से भरी है, तो वो नारी है सिर्फ इसलिए
सवालों के कटघरे में हमेशा मुजरिम बनकर खड़ी रहेगी। 🎀 Challenge-291 #collabwithकोराकाग़ज़

🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है।

🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है।

🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। 64 शब्दों में अपनी रचना लिखिए।
बचपन से नारी को संस्कारों की चादर उढाई गई।
दुनिया की हर रीति सदा नारी को समझाई गई।
नारी होने के सारे ही फर्ज उसे गिनाए गए,
कभी बेटी, कभी बहन तो कभी पत्नी बनने के,
मां बनकर नारी ने ही सबको पाला, जब 
नारी संस्कारों से भरी है, तो वो नारी है सिर्फ इसलिए
सवालों के कटघरे में हमेशा मुजरिम बनकर खड़ी रहेगी। 🎀 Challenge-291 #collabwithकोराकाग़ज़

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🎀 Challenge-291 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है। 🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है। 🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। 64 शब्दों में अपनी रचना लिखिए। #yqbaba #yqdidi #YourQuoteAndMine #कोराकाग़ज़ #सवालोंकेकटघरेमें