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बसा है दिल में जो मेरे , वही जा दूर बैठा हैं । दिय

बसा है दिल में जो मेरे , वही जा दूर बैठा हैं ।
दिया जिसने भरोसा था , वही मुख मोड़ बैठा है।

मिलेंगे फूल या कांटे , रहेंगे साथ में हरदम।
कहा जिसने था ये मुझसे , वही मुझे छोड़ बैठा है।

©नागेन्द्र किशोर सिंह
  # गजल# बसा है दिल में जो मेरे#मेरी कलम से।

# गजल# बसा है दिल में जो मेरेमेरी कलम से। #शायरी

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