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सीखो निज डगर पर नित बढ़ते जाना! आंधी तूफ़ाँ हो या गर

सीखो निज डगर पर नित बढ़ते जाना!
आंधी तूफ़ाँ हो या गरजते बादल कभी न अपने भाव बदलना!
कर्तव्य पथ से तनिक न भटकना हो जाए चाहे ग्रहण से भी सामना!!
रखनी है रौशन ग़र रौशनी ख़ुद की.. तो पड़ता    
है अंगारों सा सुलगना!!

©Faniyal
  #dagar