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"शैतानियां बचपन की" बिना स्वार्थ के बोलेपन में सब

"शैतानियां बचपन की"
बिना स्वार्थ के
बोलेपन में
सब को बाती  थी
सब लोतपोट होते थे
आज भी याद आती है
मन ही मन मुस्कुराते है
जब भी बचपन याद आता है

©Rakhi  Gupta
  #शैतानियां बचपन की #poem #Poetry
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Rakhi Om

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#शैतानियां बचपन की #poem Poetry #कविता

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