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आज फिर वही सुबह है फिर आई जवानी है होंठो में बसा क

आज फिर वही सुबह है
फिर आई जवानी है
होंठो में बसा करती थी जो
याद आई वो कहानी है
अंगड़ाईयों में अक्सर तेरी 
वही अदा पुरानी है
जिसे देख मेरे दिल की धड़कने
फिर दुबारा बहक जानी है
जुल्फों को ना तुम लहराना
नहीं तो सांसे ही रुक जानी है
फिर हो जाएगा तुमसे प्यार
 तुमसे ही मेरी जिंदगानी है

©Brijendra Singh
  jawani

jawani #शायरी

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