ग़ज़ल :- दूर अब सारी शिकायत हो गई है । आपको हमसे मुहब्बत हो गई है ।। अब नहीं होना खफ़ा मुझसे कभी तुम । जान तेरे नाम वसीयत हो गई है ।। देख लो ये प्यार कब तक साथ देगा । हर तरफ़ अब तो बगावत हो गई है ।। फिर नहीं करना गिला उस रात का तुम । ज़िन्दगी ये खूबसूरत हो गई है ।। बख़्श दो उनको खुदा के वास्ते अब । दिल में तेरे अब शराफ़त हो गई है ।। भूल जा इन हुस्न वालों को यहाँ पर । दिल जलाना इनकी आदत हो गई है ।। ढूंढ ले जो फिर वफ़ा माँ बाप में अब । ये जहाँ उसके लिए जन्नत हो गई है ।। जो हवस के हैं पुजारी आज बैठे । प्यार ही उनकी मुसीबत हो गई है ।। चुप रहो तुम भी प्रखर परिवार खातिर । धर्म पर भी अब सियासत हो गई है ।। ०१/१२/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- दूर अब सारी शिकायत हो गई है । आपको हमसे मुहब्बत हो गई है ।। अब नहीं होना खफ़ा मुझसे कभी तुम ।