ग़ज़ल :- प्यार में अब जरा मुस्कुरा दीजिए । प्रेम का रोग मुझको लगा दीजिए ।। प्रेम ही देख पावन जहाँ में रहा । प्रेम का फूल दिल में खिला दीजिए ।। प्रेम हमको हुआ जब उन्हें देखकर । कह उठा दिल उसे फिर बता दीजिए ।। प्रेम करना यहाँ यार मुश्किल नहीं । प्रीति की रीति बस अब निभा दीजिए ।। प्रेम के नाम से दिल किसी का कभी । टूट पाये नहीं मशविरा दीजिए ।। प्रेम दिल का तुम्हारे खिलौना नहीं । खेल कर क्यों इसे फिर दगा दीजिए ।। प्रेम को मानते हो अगर तुम प्रखर । तो हमें यूँ न दिल से विदा दीजिए ।। १०/०२/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR 🙏🌹🌹🙏 ग़ज़ल :- प्यार में अब जरा मुस्कुरा दीजिए । प्रेम का रोग मुझको लगा दीजिए ।।