ग़ज़ल पीर मन की छुपाने चला हूँ । गीत लव पर सजाने चला हूँ ।।१ आप भी देख लो ये तमाशा । बज़्म़ को मैं डुबाने चला हूँ ।।२ दर्द दिल में लिए इस जहाँ का । आज मैं मुस्कराने चला हूँ ।।३ है खफ़ा आज जो मीत अपना । देख उसको मनाने चला हूँ ।।४ टूट जाए नहीं आज दिल फिर । दुल्हन उसको बनाने चला हूँ ।।५ इक नज़र देख ले इस तरफ़ तू । बिजलियाँ मैं गिराने चला हूँ ।।६ मर गया है प्रखर मौत के बिन । फूल माला चढ़ाने चला हूँ ।।७ ०८/०२/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल पीर मन की छुपाने चला हूँ । गीत लव पर सजाने चला हूँ ।।१