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मर चुकी है संवेदनाएँ आत्मबल अब क्षीण है। महत्वाकां

मर चुकी है संवेदनाएँ
आत्मबल अब क्षीण है।
महत्वाकांक्षा बढ़ रही
संभावनाएँ मलिन हैं।

कान कहाँ अब सुन पाते हैं
आँखें स्वपनों में लीन हैं।
युवा-युवा का दम्भ भरते
चंद ठेकेदारों के अधीन हैं।

हिन्दू-मुस्लिम, मस्जिद-मंदिर
बाकी मुद्दे सब विलीन हैं।
भक्तों की करतूत देख
श्रीराम बने दीन-हीन हैं।

चोर दारोगा की वर्दी में
न्यायालय अन्याय का मारा है।
सब खेल-तमाशा देख के फिर
हम बन पड़े दृष्टिहीन हैं।

सूखा है गला धरा का
नाक पानी में डूबा है।
सुबह नहीं जगती अब चिड़ियों से
हम "एंग्री बर्ड" में लीन हैं।

कब तक आत्मप्रलाप करोगे 'शेखर'
स्वयं से कितना पाओगे।
जाके देखो खुद के आगे
आज फिर भूखा सोया कोई दीन है। हमारी संवेदनाएँ #feelings #youth #wethepeople #nojoto #NojotoHindi #मृतजीवन Satyam kr Satyarthi
मर चुकी है संवेदनाएँ
आत्मबल अब क्षीण है।
महत्वाकांक्षा बढ़ रही
संभावनाएँ मलिन हैं।

कान कहाँ अब सुन पाते हैं
आँखें स्वपनों में लीन हैं।
युवा-युवा का दम्भ भरते
चंद ठेकेदारों के अधीन हैं।

हिन्दू-मुस्लिम, मस्जिद-मंदिर
बाकी मुद्दे सब विलीन हैं।
भक्तों की करतूत देख
श्रीराम बने दीन-हीन हैं।

चोर दारोगा की वर्दी में
न्यायालय अन्याय का मारा है।
सब खेल-तमाशा देख के फिर
हम बन पड़े दृष्टिहीन हैं।

सूखा है गला धरा का
नाक पानी में डूबा है।
सुबह नहीं जगती अब चिड़ियों से
हम "एंग्री बर्ड" में लीन हैं।

कब तक आत्मप्रलाप करोगे 'शेखर'
स्वयं से कितना पाओगे।
जाके देखो खुद के आगे
आज फिर भूखा सोया कोई दीन है। हमारी संवेदनाएँ #feelings #youth #wethepeople #nojoto #NojotoHindi #मृतजीवन Satyam kr Satyarthi

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