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धीरे-धीरे शम्मा जलती रही, रफ्ता-रफ्ता पिंघलती रही

धीरे-धीरे शम्मा जलती रही,
रफ्ता-रफ्ता  पिंघलती रही !

दिल तड़पता रहा पल पल,
रूह रह-रह मचलती रही !

शोला-जिस्म सुलगता रहा,
शैनेः शैनेः रात ढलती रही !

ख़्वाब  परवान  चढ़ते  रहे,
ख़्यालो में उम्र टलती रही !

धड़कने रफ्तार में थी 'धर्म'
सांसे रुक-रुक चलती रही !!

©@Niv@tiya's
  #kohra #shamma #Shayari #Poet #Life #Love #SAD
dknivatiya9406

@Niv@tiya's

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#kohra #shamma Shayari #Poet Life Love #SAD #शायरी

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