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ये सत्ता की गलियां हैं , यहाँ, आंसुओ की कोई, कीमत

ये सत्ता की गलियां हैं , 
यहाँ, आंसुओ की कोई, कीमत नही है
वेश्यालयों से हैं बत्तर ये,
यहाँ, वफाओं की कोई, ग़लिमत नही है

मज़लूमों के सर, 
ऐ साहेब, काटे जाते हैं, नित रोज यहाँ
हैं हर तरफ, काँपती रुह,
की हक़ीक़त, फिर भी कोई,  हक़ीक़त नही है 

साहेब अलीगढ़ी ।।। 29/04/2023

©साहेब अलीगढ़ी  ।।।
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