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हर रोज इन रातों में तन्हा रह जाता हूं, लाखों के बी

हर रोज इन रातों में तन्हा रह जाता हूं,
लाखों के बीच में खुद को अकेला पाया करता है,
ना जाने क्यों अपनी बातों से मुझे डर लगने लगा है,
हर अंधेरी रात में मुझको अकेला  होना पड़ता है
जिन खयालों से अपना पीछा छुड़ाना चाहता हूं अक्सर हर रात मुझे यह रातें याद दिलाया करती हैं
अब तो मुझे इन रातों से भी रिश्ते तोड़ने का मन करता है हां अब इन रातों से रिश्ते ना रखने की एक तलाक सी लगी रहती है ।।

©versha rajput
  #akelahumai