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न मैं मीरा बनी न ही राधा बनी, देखो बस रह गयी बनके

न मैं मीरा बनी न ही राधा बनी,
देखो बस रह गयी बनके मैं रुक्मिणी।
साथ कृष्ण रहे ज़िंदगी भर मेरी,
नाम उनका हुआ रह गयी मैं पड़ी।

आज देखो बने है सदन ही सदन,
साथ राधा ही कृष्ण के संग में खड़ी।
दोष मेरा था क्या ये बता दो सभी।
क्यों द्वारिका में अकेले पड़ी रह गयी?
      -शैलेन्द्र

©HINDI SAHITYA SAGAR
  #janmashtami 
न मैं मीरा बनी न ही राधा बनी,
देखो बस रह गयी बनके मैं रुक्मिणी।
साथ कृष्ण रहे ज़िंदगी भर मेरी,
नाम उनका हुआ रह गयी मैं पड़ी।

आज देखो बने है सदन ही सदन,
साथ राधा ही कृष्ण के संग में खड़ी।

#janmashtami न मैं मीरा बनी न ही राधा बनी, देखो बस रह गयी बनके मैं रुक्मिणी। साथ कृष्ण रहे ज़िंदगी भर मेरी, नाम उनका हुआ रह गयी मैं पड़ी। आज देखो बने है सदन ही सदन, साथ राधा ही कृष्ण के संग में खड़ी। #कविता #hindisahityasagar #poetshailendra

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