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बदलते दौर में हर शख्स की, बदल रही कहानी है नौजवा ह

बदलते दौर में हर शख्स की, बदल रही कहानी है
नौजवा हो गए बेशर्म, बुजुर्ग पानी पानी है

शर्म आती है लिबास से बदन को ढक करके
लिबास कम हो तो आधुनिकता की निशानी है

सर्द रातों में महाफिलें सजी हसीनों की,
गर्म कपड़े न पहनती नई जवानी है

नुमाइश का चलन फैला है इस कदर अब तो,
बदन को खुद नही पता किसे दिखानी है

न जाने दौर ये बेखुद चलेगी कब तक,
या रब को फिर नई फसल कोई उगानी है

©Sunil Kumar Maurya Bekhud
  #intimacy