ग़ज़ल दर्द दिल का अब छुपाए कैसे । रंग महफ़िल में जमाए कैसे ।।१ हो चुकी है आज उम्र भी अपनी । नैन उनसे फिर मिलाए कैसे ।।२ पास दौलत भी कहाँ अब इतनी । ब्याह बेटी का रचाए कैसे ।।३ आज झुक भी तो नहीं पाता मैं खार राहों से हटाए कैसे ।।४ बोझ बढ़ता ही गया कांधो का । अब झुके काँधें दिखाए कैसे ।।५ मोह माया ने इस तरह जकड़ा । छोड़ घर को मंदिर जाए कैसे ।।६ पाप इतने कर लिए है उसने । अब प्रखर गंगा नहाए कैसे ।।७ १३/१२/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल दर्द दिल का अब छुपाए कैसे । रंग महफ़िल में जमाए कैसे ।।१