"झूठ बहुत सलीके से बोलने लगा है वो, मेरे सच को तराजू में तोलने लगा है वो, कभी जो सुन नहीं सकता था मेरे खिलाफ कुछ भी, मेरे बारे में क्या क्या बोलने लगा है अब वो..." ©Ankit Surothiya झरोखा