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चलें जायें यहाँ से जो किसे फिर याद आयेंगे । नहीं अ

चलें जायें यहाँ से जो किसे फिर याद आयेंगे ।
नहीं अपना यहाँ कोई कहें जो बाद आयेंगे ।।

मिलाकर तुम कदम चलते सुनो हम साथ में होते ।
मगर अब तो तुम्हारे बाद हम नाशाद आयेंगे ।।

खफ़ा अब हम नहीं तुमसे बताओ बात क्या आखिर ।
तुम्हारे बाद भी क्या हम नज़र बरबाद आयेंगे ।।

किताबों में लिखा था जो पढ़ाया हर किसी ने है ।
मगर अब ज़िंदगी के सब सबक तो याद आयेंगे ।।

गया जो भूल था मैं सब दिलाया याद अपनों ने ।
उसी को याद करके अब अमीनाबाद आयेंगे ।।

                    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR चलें जायें यहाँ से जो किसे फिर याद आयेंगे ।
नहीं अपना यहाँ कोई कहें जो बाद आयेंगे ।।

मिलाकर तुम कदम चलते सुनो हम साथ में होते ।
मगर अब तो तुम्हारे बाद हम नाशाद आयेंगे ।।

खफ़ा अब हम नहीं तुमसे बताओ बात क्या आखिर ।
तुम्हारे बाद भी क्या हम नज़र बरबाद आयेंगे ।।
चलें जायें यहाँ से जो किसे फिर याद आयेंगे ।
नहीं अपना यहाँ कोई कहें जो बाद आयेंगे ।।

मिलाकर तुम कदम चलते सुनो हम साथ में होते ।
मगर अब तो तुम्हारे बाद हम नाशाद आयेंगे ।।

खफ़ा अब हम नहीं तुमसे बताओ बात क्या आखिर ।
तुम्हारे बाद भी क्या हम नज़र बरबाद आयेंगे ।।

किताबों में लिखा था जो पढ़ाया हर किसी ने है ।
मगर अब ज़िंदगी के सब सबक तो याद आयेंगे ।।

गया जो भूल था मैं सब दिलाया याद अपनों ने ।
उसी को याद करके अब अमीनाबाद आयेंगे ।।

                    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR चलें जायें यहाँ से जो किसे फिर याद आयेंगे ।
नहीं अपना यहाँ कोई कहें जो बाद आयेंगे ।।

मिलाकर तुम कदम चलते सुनो हम साथ में होते ।
मगर अब तो तुम्हारे बाद हम नाशाद आयेंगे ।।

खफ़ा अब हम नहीं तुमसे बताओ बात क्या आखिर ।
तुम्हारे बाद भी क्या हम नज़र बरबाद आयेंगे ।।

चलें जायें यहाँ से जो किसे फिर याद आयेंगे । नहीं अपना यहाँ कोई कहें जो बाद आयेंगे ।। मिलाकर तुम कदम चलते सुनो हम साथ में होते । मगर अब तो तुम्हारे बाद हम नाशाद आयेंगे ।। खफ़ा अब हम नहीं तुमसे बताओ बात क्या आखिर । तुम्हारे बाद भी क्या हम नज़र बरबाद आयेंगे ।। #शायरी