खुशियों की तलाश में इधर-उधर भटकते रातों की नींद गई कितने हैरान है सब कभी पैसे के पीछे भागते तो कभी मंदिर मस्जिद का चक्कर लगाते कितने नादान है सब मंहगे कार में घूमना रेस्टोरेंट में पार्टी करना देखों इन सब चकाचौंध के कितने गुलाम है सब अपनी ही अंतर्मन की आवाज सुनाई नहीं देती इस अफ़रा-तफ़री भरी दुनिया में कितने परेशान है सब Queen कभी किसी के काम आ जाना , अपनों के साथ वक्त बिता लेना इसी में चैन-आराम है सब ।। Good night 😴 friends ♥️ Challenge-544 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।