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कोरोना के कहर से सारा विश्व ये बोल रहा, पर क्यों आ

कोरोना के कहर से सारा विश्व ये बोल रहा,
पर क्यों आम आदमी इसे जज़्बातों में है तोल रहा।।

कोरोना का ये कहर आया था वुहान से,
महामारी बन उभर रहा है अब हर एक जुबान से।।

आधा विश्व इससे मर रहा है,
और आधा इससे डर रहा है।।

सरकार उठा रही है ठोस कदम,
क्यों ना कुछ दिन तक हम घर में रहे हरदम।।

बन रहे है देश में कर्फ्यू के हालात,
जनता अब भी संभल जाओ दूर रख के जज्बात।।

समझना होगा हमें कोरोना का डर,
क्योंकि बहुत जानलेवा है इसका तीसरा स्तर।।

क्यों ना अपने अपनो को हम सब एक बात कहें,
क्यों ना कुछ दिन हम सब घर पर ही रहे।।

हम सब सख्ती से कर्फ्यू का पालन करे,
एकांत में रहकर कोरोना को भारत से चलता करे।।

कवि विनित बड़सीवाल #कोरोना एक महामारी
कोरोना के कहर से सारा विश्व ये बोल रहा,
पर क्यों आम आदमी इसे जज़्बातों में है तोल रहा।।

कोरोना का ये कहर आया था वुहान से,
महामारी बन उभर रहा है अब हर एक जुबान से।।

आधा विश्व इससे मर रहा है,
और आधा इससे डर रहा है।।

सरकार उठा रही है ठोस कदम,
क्यों ना कुछ दिन तक हम घर में रहे हरदम।।

बन रहे है देश में कर्फ्यू के हालात,
जनता अब भी संभल जाओ दूर रख के जज्बात।।

समझना होगा हमें कोरोना का डर,
क्योंकि बहुत जानलेवा है इसका तीसरा स्तर।।

क्यों ना अपने अपनो को हम सब एक बात कहें,
क्यों ना कुछ दिन हम सब घर पर ही रहे।।

हम सब सख्ती से कर्फ्यू का पालन करे,
एकांत में रहकर कोरोना को भारत से चलता करे।।

कवि विनित बड़सीवाल #कोरोना एक महामारी

#कोरोना एक महामारी #poem