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मैं तेरे आंखों का कटा नही, गुलाब बनना चाहता था, सब

मैं तेरे आंखों का कटा नही,
गुलाब बनना चाहता था,
सबसे बेहतर सबसे अलग करे जो तुझे 
वो शबाब बनना चाहता था,

कल भी थी गुरुर तुझे आज भी है अपने हुस्न की 
कीचड़ में खिल जाए जो कमल 
मैं तो तेरे अस्तित्व वो तालाब बनना चाहता था,

तू थी अनजान राही भटक रही थी अपनी मंजिल की तलास में
चढ़ जाए ऐसी नासा जो लागे दे मंजिल पार तुझे 
मैं वो शराब बनाना चाहता था।

खो चुकी थी यूं अंधेरों में न थी कोई रोशनी तुझपर 
मेरी प्रकाश से प्रकाशित होकर खुद जो चमक जाए
मैं वो आफताब बनाना चाहता था

चकोर जिसकी चाहत में देख देख यूं रात बिताती है 
उस पूर्ण मासी की रात की 
मैं वो महताब बनाना चाहता था ।।

 लेकिन मेरी चाहत का न तुझे जरा भी कोई कद्र रहा
खुद को तुझसे गुना कर दोगुना कर दे जो तुझे 
मैं वो हिसाब बनाना चाहता था ।।

आओ सब भूल कर साथ चलें रच दे फिर ऐसी कहानी
मिशाल दे जिसे पड़कर दुनियां एक दिन 
मैं वो किताब बनाना चाहता था।।

©SK NIGAM 
  #Love #sedsayri #gajal