सच में, कभी-कभी लगता है कि मेरे पास दुनिया की सभी किताबें पढ़ने का समय होता, संसाधन होते। कभी-कभी लगता है कि मैं सम्पूर्ण पृथ्वी के क्षेत्रफल में कांस की नोक के बराबर भी हिस्सा जितना अधुरा ज्ञान होने के बाबजूद भी अभिमान महसूस करता हूँ। अज्ञानता का यह पहला लक्षण है।
मेरी माँ सरस्वती से यही प्रार्थना रहती है कि मुझे ख़ुद के अज्ञानी होने का आभास कराती रहे ताकि मैं कभी भी खुद वे झूठा गर्व न करूं।
ज्ञान मष्तिष्क को शांत करने की एक सतत प्रक्रिया है और मैं इस प्रक्रिया से गुजरना चाहता हूँ... किताबें खरीद #Collab#नई_शुरुआत#collabwithकोराकाग़ज़#बातनहींहोगी#नईराहें#2thingsineverregret