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शीर्षक - "मां शारदे"। सर राखजे सदा मां हाथ थारों,

शीर्षक - "मां शारदे"।

सर राखजे सदा मां हाथ थारों,
हू नान बालक, नादान हू,
तारी कृपा बिना बेजान हूं
हू ज्ञान बिना भी अज्ञान हू,
सर राखजो मां हाथ आपरो..

राह बिसरू तो राह दिखाव जे,
मनी आज्ञा पर थारी चलाव जे,
हू नान बालक, नादान घणो,
सर राखजो मां हाथ आपरो...

मैं चलू सदा जिस राह पे,
हो काटे तो,पुष्प खीलाव जे,
मै अरज करू जब आपरे,
मां तू वेगी हंसली पधार जे,

हू अरज करू मां शारदे,
के सुधारजो थे मारी मती..

हू मनक  हू काला  माथा  नो,
मारी गलती ने,तू ही वताड जे,
मनी बालक समझीनी थारो,
मारी नय्या ने पार लगाव जे..

सर राखजे सदा मां हाथ थारों,
हू नान बालक, नादान हू...

©Navin charpota #वसंतपंचमी #शारदे #वसंत #वीणावादिनी #Banswarablog #shabdokiduniya
शीर्षक - "मां शारदे"।

सर राखजे सदा मां हाथ थारों,
हू नान बालक, नादान हू,
तारी कृपा बिना बेजान हूं
हू ज्ञान बिना भी अज्ञान हू,
सर राखजो मां हाथ आपरो..

राह बिसरू तो राह दिखाव जे,
मनी आज्ञा पर थारी चलाव जे,
हू नान बालक, नादान घणो,
सर राखजो मां हाथ आपरो...

मैं चलू सदा जिस राह पे,
हो काटे तो,पुष्प खीलाव जे,
मै अरज करू जब आपरे,
मां तू वेगी हंसली पधार जे,

हू अरज करू मां शारदे,
के सुधारजो थे मारी मती..

हू मनक  हू काला  माथा  नो,
मारी गलती ने,तू ही वताड जे,
मनी बालक समझीनी थारो,
मारी नय्या ने पार लगाव जे..

सर राखजे सदा मां हाथ थारों,
हू नान बालक, नादान हू...

©Navin charpota #वसंतपंचमी #शारदे #वसंत #वीणावादिनी #Banswarablog #shabdokiduniya