न जाने कैसी तरक़्क़ी कर रहे हैं आजकल लड़के मौन हो रहे हैं जिनके ठहाकों से गूंजता था मोहल्ला वो लड़के अब अंधेरों में गुम हो रहे हैं ऐ शायरों कुछ लिख दो इनके गम पे भी मौत के क़िस्से इनके हर दिन बढ़ रहे हैं मर्द को दर्द नहीं होता किस जाहिल ने लिखा इस झूटे अभिमान में जाने कितने घर उजड़ रहे हैं ©Kamal Kant #Death #shyari #Ladke #Poetry #Poet #writer zindagi sad shayari