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ये विवाह है प्रेम का.. कल्पों के बिरह के मेल का..

ये विवाह है प्रेम का..
कल्पों के बिरह के मेल का..

शक्ति से शिव के अनंत प्रेम..
कैलाश के बैरागी से होने गृहस्र का..

ये विवाह है सृस्टि के होने पूर्ण का..
यही वक़्त है जगत में धूम का..

यही समय है मेरे शिव की बारात का..
सभी के भाँग में धुत होकर नाच का..

ये वक़्त है सृस्टि के श्रंगार का..
तभी तो पर्व है महाशिवरात्रि सम्पूर्ण प्यार का..!!

©Ritesh Raikwar
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