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जलता चिराग हूं , धुंए के घूंट पी रहा, जी रहा हूं

जलता चिराग हूं , 
धुंए के घूंट पी रहा,
जी रहा हूं कि हारना नहीं ,
किए जो वायदे खुद से, 
उनको टालना नहीं। 
खुदगर्ज ना बन सका,
सजा उसी की मिल रही,
सांस आती जाती है 
ये बताने को 
कि जिंदा हूं मैं अभी मरा नहीं।

©Karan Kumar
  #करण