जी रहा हूँ लोगों के ऐहसान पर साथ सबके रेहम लिये जा रहा हूँ कितना खूबसुरत गुनाह मैं किये जा रहा हूँ जिंदा हूँ या एक लाश का बोझ लिए जा रहा हूँ ज़िन्दगी के सारे ग़मों को घुट घुट पिए जा रहा हूँ कितना खूबसुरत गुनाह मैं किये जा रहा हूँ आछा बुरा सच झूठ मुझको बहाने लगते है मेरे टूटे ख्वाब ही मुझे सताने लगे है अब तो हर शाम खुद के नाम् किये जा रहा हूँ कितना खूबसूरत गुनाह किये जा रहा हूँ मांजिल को बांध राहों को सीए जा रहा हूँ खुद ही को भूला कर लमहों को पिए जा रहा हूँ कितना खूबसुरत गुणः किये जा रहा हूँ चाल रहा हूँ उस रहन पर जो मंज़िल तक नहीं जाती फिर भी एक ख्वाब सीने में लिए जा रहा हूँ कितना खूबसुरत गुनाह मैं किये जा रहा हूँ खुद को भूलाकर हंसी का गला दबाकर गमों को ले साथ अश्को को पिए जा रहा हूँ कितना खूबसूरत गुनाह मैं किये जा रहा हूँ । ©BROKENBOY👨 जी रहा हूँ लोगों के ऐहसान पर साथ सबके रेहम लिये जा रहा हूँ कितना खूबसुरत गुनाह मैं किये जा रहा हूँ जिंदा हूँ या एक लाश का