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हर चाहत पूरी हो,यह जरुरी नही। क्या पता किसमें, विध

हर चाहत पूरी हो,यह जरुरी नही।
क्या पता किसमें, विधाता की मंजूरी नही।।
सितारे आकाश के,कौन गिन पाया है ।
जबकि धरती से आकाश की अब कोई दूरी नही।।

©Shubham Bhardwaj
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