अन्तर मन की वेदना जब प्रखर रूप में आती है
तब नादिया अपने नैनो से अश्रु की धार चलती है
जब जीवन को जीवन का आयाम नहीं मिल पाता है
तब गहन संवेदनाये जीवन की पल पल हमें रुलाती है
तब हम अपने आँखों में एक राह किसी की तकते है
कोई ऐसे भी कोई आये जैसे सावन घुमड़ बरसते है
तब तब आता है एक (मस्ताना) जो अधरों पर चंचलता लाता है
हर पल हमें हँसाने को खुद जोकर बो बन जाकेता है #Joker#नज़्म#कविता#शायरी#गीत#मुक्तक#मनोज_मस्ताना