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फिक्र नहीं है अपनों की आज नया परिवार बना। रिश्ते स

फिक्र नहीं है अपनों की आज नया परिवार बना।
रिश्ते सब ही क्षणभंगुर है पैसा ही आधार बना।।
भौतिकवादी दुनियाँ में आज कौन पूछे किसको।
माया से ही सब रिश्ते हैं, पैसा ही आभार बना।।

©kavi vikrant chambali
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