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लफ्ज़ _ऐसम दीन

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लफ्ज़ _ऐसम दीन

फूल का क्या फूल तो कुर्बान हुआ
आख़िर जन्नत जायेगा 

मस'अला तो ख़ुश्बू का है 
फूल के सिवा उसे कौन रख पाएगा

©लफ्ज़ _ऐसम दीन #लफ़्ज़
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लफ्ज़ _ऐसम दीन

Shayari pasand humesha se thi
Par shayar bne hain abhi abhi

hum nikal hi chuke the mauj se bahar
is dariya ki mohabbat le dubi abhi abhi

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©लफ्ज़ _ऐसम दीन #Sea
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लफ्ज़ _ऐसम दीन

मैं तुम्हें इतना ही जाना हूँ बेशक,

एक बालिश्त में ज़िन्दगी बीत जायेगी मेरी!!

©लफ्ज़ _ऐसम दीन
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लफ्ज़ _ऐसम दीन

दिल ए खुश फहम 
बैठता क्यूं है मेरे पास,

‌‌फ़.ख्‍‌त ये आरज़ू कैसी के,
जी लूं इक और आख़िरी एहसास!!

©लफ्ज़ _ऐसम दीन #selflove
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लफ्ज़ _ऐसम दीन

धर्म के लिबास में ढोंगी ढोंग रचाने बैठा है
सम्भल कर रहो कोई तुम्हारे घर जलाने बैठा है

lafz_Aesam

©लफ्ज़ _ऐसम दीन
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लफ्ज़ _ऐसम दीन

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लफ्ज़ _ऐसम दीन

वक्त वक्त के साथ कैसे बदल जाता है
जीवन अख़िर यूँ ही निकल जाता है
जवानी सिगरेट के रौब से शुरू होती है
और बुढ़ापा बीड़ी की तलब में निपट जाता है

©लफ्ज़ _ऐसम दीन #worldpostday  रीना उईके Leelawati Sharma Lakshmi Srivastav Pakhi Gupta Pushpa Lata Bharti  Sushmita dewangan

#worldpostday रीना उईके Leelawati Sharma Lakshmi Srivastav Pakhi Gupta Pushpa Lata Bharti Sushmita dewangan #शायरी

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लफ्ज़ _ऐसम दीन

रोशनी को साबित होने के लिए कोई अंधेरा चाहिए
दर-बदर फकीरों को बसने के लिए कोई बसेरा चाहिए
पत्थर तबीयत से उछालो आसमां में मगर
छेद करने के लिए कोई हुनर चाहिए

Lafz_aesam

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लफ्ज़ _ऐसम दीन

वो जलते हैं हमसे, हम भी उनसे जलते हैं 
मगर दोनों के जलने-जलने में भेद है
वो जलते हैं हमसे जैसे जलता बिजली से बल्ब है
हम जलते हैं उनसे जैसे जलता बाती से तेल है

Lafz_aesam

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लफ्ज़ _ऐसम दीन

दो दिलों की बस्ती मेरी, यहाँ नफ़रत का भला क्या काम 

रोज का तेरा ये आना-जाना, इतना भी मुझसे भला क्या काम 

Lafz_aesam

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