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कवि प्रीतम

कवि,लेखक, शिक्षक

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कवि प्रीतम

#RajasthanDiwas गजबै    रजा   परधानी  हौ।

वादों   कै   भरमार  होत  हौ,
विपक्षी    बीमार    होत  हौ।
पढ़ा  लिखा  बेकार  होत हौ,
पइसा  से  परचार  होत  हौ।
सुबह  शाम  दरबार  होत हौ,
आगे  से खुब  प्यार होत हौ।
बात  बात  से  वार  होत  हौ,
रिश्ता  सब  बेकार  होत  हौ।

केउ, केउ बहुतै  खुशी अहेंन
केहू  कै   बहुत   ग्लानी  हौ।
गजबै   रजा।  परधानी   हौ।

केहू   कै   वो   खड़ा   केहेन,
औ  केहू कै  परचार होत हौ।
पड़ोसी कै खड़ा भये से देखा,
पड़ोसी   कै   हार   होत  हौ।
जेकर  घर  मा  खुदै  चलै  न,
वो वोटन कै ठेकेदार होत हौ।
केतना  कहे  कि शर्त लगावा,
फलाने   कै    हार   होत  हौ।

केहू    कहे   समझदार   बड़,
केहू    कहे     नादानी     हौ।
गजबै    रजा   परधानी   हौ। 

जेसी   कबहुँ   राम   राम  न,
उनहूँ  कै   सम्मान  होत  हौ।
मजा अहइ बस  एतना देखा,
सबकै  अब  सम्मान होत हौ।
गाँव, गाँव  कै बात का छोड़ा,
घरे, घरे   परधान   होत   हौ।
खरचा  कै  अब चिन्ता छोड़ा,
पइसा  अब  तो दान होत हौ।

कहेस   पड़ोसी   हमना  देबै,
रंजिस   बड़ी     पुरानी   हौ।
गजबै  रजा   परधानी    हौ।

जे  कबहुँ   न   मिलत   रहेन,
अब ओनहुँ कै दीदार होत हौ।
मुर्गा,  मछरी ,  दारू,   गांजा,
बिन  मांगे  स्वीकार  होत हौ।
चौराहे   पर   चाय   पान  औ,
द्वारे    नमस्कार    होत    हौ।
व्यवहार  यार  सब  भूलि गये,
वोटन  कै  व्यापार   होत  हौ।

पाँच  बरस  मा  दिन ब लौटा,
सब  कै  चढ़ा   खुमानी   हौ।
गजबै   रजा   परधानी    हौ।

       कवि प्रकाश प्रीतम 
   जौनपुर    उत्तर     प्रदेश
       मो. 9935891375

©कवि प्रीतम #परधानी_पर_कविता
#pradhani_chunaav

#AprilFoolsDay2021
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कवि प्रीतम

#kpquotes
#kppritamkevichar
#kppritamkishayri
#goodmorningshayari
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कवि प्रीतम

मृत्यु एक अमर अनुचर है 
जो सदा मानव जीवन कि 
प्रतीक्षा करती रहती है।

©कवि प्रीतम #अनमोल_विचार

#Uttarakhand
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कवि प्रीतम

हो  बुराई  जो  मुझमे  मिटाना  प्रभू।
राह सच का सदा ही  दिखाना  प्रभू।
दुःखी  कोई   न   हो   मेरे  कृत्य  से,
मुझको ऐसे ही पथ पर चलाना प्रभू।

©कवि प्रीतम #kaviprakashpritamkishayri
#goodmorningkishayri
#कविप्रकाशप्रीतम

#moonlight
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कवि प्रीतम

सियासत बाँट कर हमको अपना काम है करती।
 
कहीँ हिन्दू बनी धरती  कहीँ मुस्लिम बनी धरती

फ़ितरत  साँप कि है काटना वो  काट  कर छोड़े

सियासत में शराफ़त कि अदायें हो नही सकती। 
         
        ✍ प्रकाश प्रीतम ✍

©कवि प्रीतम
  #शायरी

#Books 
#कवि_प्रकाश_प्रीतम
#kaviprakashpritam
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कवि प्रीतम

सियासत बाँट कर हमको अपना काम है करती।
 
कहीँ हिन्दू बनी धरती  कहीँ मुस्लिम बनी धरती

फ़ितरत  साँप कि है काटना वो  काट  कर छोड़े

सियासत में शराफ़त कि अदायें हो नही सकती। 
         
        ✍ प्रकाश प्रीतम ✍

©कवि प्रीतम #शायरी

#Books 
#कवि_प्रकाश_प्रीतम
#kaviprakashpritam
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कवि प्रीतम

घुघराले  से  केस जो,
लटके  सदा  कपोल।
खुले गुलाबी होंठ तो,
बोले   मधुरी   बोल।।

©कवि प्रीतम #कवि_प्रकाश_प्रीतम
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कवि प्रीतम

सागर   सी   सरिता   हुई,
पाकर    सावन      साथ।
सावन  भी   काबिल नही,
दे जनम जनम का साथ।।

©कवि प्रीतम #शायरी
#प्यार_कि_शायरी
#कवि_प्रकाश_प्रीतम
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कवि प्रीतम

युद्ध जीतना आसान हो सकता है
 
लेकिन

 दिल जीतना आसान नही होता।

©कवि प्रीतम #विचार

#Hopeless
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कवि प्रीतम

आश लेकर  जिये  हैं  सभी  ही  यहाँ,
मैं सांस बनकर जिऊंगी तुम्हारे लिये।

वो  पगली   यही   बात  कहती  रही,
मैं  मरूँगी   जिऊंगी   तुम्हारे   लिये।

प्रीत के पथ पर  काँटे  मिलेंगे  बहुत,
पुष्प   मैं  तो  बनुगीं   तुम्हारे   लिये।

संग मरने कि कसम लोग खाते यहाँ,
मैं  तो यम  से  लड़ूंगी  तुम्हारे  लिये।

रूप सागर का धर  कर  रहोगे कहीँ,
मैं  नदी   बन   बहूँगी   तुम्हारे  लिये।

बनके  चातक जहाँ  में  रहोगे  अगर,
प्रीतम  स्वाती  बनुगीं  तुम्हारे  लिये।

          कवि प्रकाश प्रीतम 
        जौनपुर   उत्तर   प्रदेश
         मो.9935891375

©कवि प्रीतम #Nature
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