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akhileshtripathi5483
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अखिलेश त्रिपाठी 'केतन'

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अखिलेश त्रिपाठी 'केतन'

राम जन जन के प्यारे हैं । राम पर सब मन हारे हैं।
राम का राज तिलक कल है।नगर में भारी हलचल है।।

खुशी हर ह्रदय समाई है।मंथ रा क्यों अकुलाई है।।

दुखी हो दौड़ महल आई।तिलक की बात सही पाई।।
आज यह होने मत (ना) दूंगी।राम को तो वन भेजूंगी।।

वहीं पर राम बड़ाई है ।मंथ रा क्यों अकुलाई है।।

राम को राजा बन पाएं।भरत को दास बना जाएं।
महल आ रानी से बोली।मती (मति) तब रानी की डोली।।

भरत को राज दिलाई है।मंथ रा क्यों अकुलाई है।।

राम जी वन में जाएंगे ।धरा का भार हटाएंगे।।
भले हो दोष मंथरा पर।किंतु हो धर्म इस धरा पर।।

ह्रदय में जगत भलाई है।मंथ रा सो अकुलाई है।।

©अखिलेश त्रिपाठी 'केतन' #Exploration
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अखिलेश त्रिपाठी 'केतन'

लोकतंत्र का जो सौंपा , वो भार छीन लेगी जनता।
जिसे समझते हो अपना , दरबार छीन लेगी जनता।
अधिकार नहीं सौंपा हमने तुमको अधिकार छीनने का , 
अधिकार छीनने वालों से , अधिकार छीन लेगी जनता।

©अखिलेश त्रिपाठी 'केतन' #GoldenHour
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अखिलेश त्रिपाठी 'केतन'

समय है क्रूर बड़ा , यार मेरा दूर बड़ा , मैं भी मजबूर बड़ा , बड़ी है ये उलझन।
सबको सदा ही भाय , आग मन की बुझाय , किन्तु मुझे तड़पाए , बहती हुई पवन।
बारिश में स्वप्न जगे , रातों की ये नींद भगे , झींगुरों का नाद लगे , पायलों की छनछन।
कैसी लगे बिछुड़न  , कितनी है तड़पन , या तो मेरा जाने मन , या कि मेरा जानेमन।

©अखिलेश त्रिपाठी 'केतन' love#love#story

lovelovestory #कविता

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अखिलेश त्रिपाठी 'केतन'

रिद्धि सिद्धि के विधाता शुभ लाभ के हैं दाता , चंद्रभाल अधम उद्धारन गणेश जी।
 मोदक का भोग करें भोले भाले देव मेरे , रखते हैं मूषक का वाहन गणेश जी ।
भगत की सुन टेर करते नहीं है देर , करते हैं निज प्रण पालन गणेश जी।
 बड़े-बड़े कान और छोटी-छोटी आंखें प्यारी , प्यारे प्यारे लगते गजानन गणेश जी।

©अखिलेश त्रिपाठी 'केतन'
  #GaneshChaturthi
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अखिलेश त्रिपाठी 'केतन'

प्रीत तो समान ही है हमारी ये जानते हो , भले ही परम्पराएँ विपरीत हमारी।
रीत हमारी बदली है बदलती रहेगी , बदली नहीं परंतु  सही रीत हमारी।
रीत हमारी यह कि तुम हारे हम हारे , जीत जाओ तुम तो ये लगे जीत हमारी।
जीत हो हमारी या कि  हार हो हमारी किंतु , ऐसी ही बनी रहेगी यह प्रीत हमारी।

©अखिलेश त्रिपाठी 'केतन' #ramsita
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अखिलेश त्रिपाठी 'केतन'

चौपाई छन्द में गीत का प्रयास 


नदिया यूं ही बहती रहना।  नदिया यूं ही बहती रहना ।।

1 निज ध्वनि से सम्मोहित करती। गंगा बन पापों को हरती।।
 हर प्राणी की प्यास बुझाती। सिंचित करके धरा सजाती।। 

मंद मंद गति से ही बहना ।नदिया यूं ही बहती रहना ।।

2 अपने पथ पर चलती जाती। बाधाओं को दूर हटाती।।
 श्रम का रस्ता हमें दिखाती। गति जीवन है हमें सिखाती।।

 गति तेरा सुंदरतम गहना। नदिया यूं ही बहती रहना ।।

3 सीमा से बाहर जब आती। बहा स्वप्न कितने ले जाती।।
धारा को किंचित ना मोड़ना । तट के बंधन नहीं तोड़ना।। 

तुमसे बस इतना ही कहना ।नदिया यूं ही बहती रहना।।

©अखिलेश त्रिपाठी 'केतन'
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अखिलेश त्रिपाठी 'केतन'

प्रियतम तेरी राह को , नयन तकें अविराम।

कृषि , मयूर , गोपी विकल , आ जाओ घनश्याम।।

©अखिलेश त्रिपाठी 'केतन' #KhulaAasman #Love #Sky
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अखिलेश त्रिपाठी 'केतन'

जिसके प्रभाव का न , मिलता था ओर छोर , स्वर्ण से मढ़ा हुआ था , सकल महानगर ।
वर देने हुए बाध्य , ब्रम्हा शिव भगवान , कठिन तपस्या और , भक्ति भाव देखकर।
जीत लिया हर युद्ध , हुआ जो जरा भी कुद्ध , देखकर काँपते थे , सारे देव थरथर।
किन्तु नहीं जीत पाया , अपने मनोविकार , अभिमानी रावण ने , हाथ से उजाड़ा घर ।

©अखिलेश त्रिपाठी 'केतन'
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अखिलेश त्रिपाठी 'केतन'

जो भी मांगा था मिल हमको वो ही गया
दिल को खोना ही था दिल ये खो ही गया 
तेरी सूरत  से अंदाज  आवाज से
प्यार होना ही था प्यार हो ही गया

©अखिलेश त्रिपाठी 'केतन' #humantouch , प्यार होना ही था 

#४४love #reletionship

#humantouch , प्यार होना ही था #४४love #reletionship #शायरी

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अखिलेश त्रिपाठी 'केतन'

दुर्यत्नों के मंगलमय परिणाम नहीं होने वाले
आग लगाकर सफल तुम्हारे काम नहीं होने वाले
राम हमारे आदर्शों के पावनतम प्रतिमान सदा
दुष्प्रचार से कभी अपावन राम नहीं होने वाले

©अखिलेश त्रिपाठी 'केतन' जय श्री सीताराम

जय श्री सीताराम #विचार

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