तुम बिना जीवन अकल्पित, ना लगे संसार प्यारा
तुम हो गंगा मेरे मन की, मैं भगीरथ हूँ तुम्हारा
मन विहग सा उड़ना चाहे
कामना के नीले नभ में
दीप ज्वाला जलते जलते
जैसे उतरी हो शलभ में
स्वाति बूंदों को तरसता, मैं चकोरा हूँ बेचारा #LOVEGUITAR
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विक्रम मिश्र "अनगढ़"
#अनगढ़_दोहावली
मेला जीवन का अजब, अज़बहि इसका खेल ।
बने तमाशा मोल लें, आग नून अरु तेल ।।
रक्त बना जब स्वेद कण, लवण हुआ मधु भाव ।
देह गला दमड़ी मिले, मोल तोल बहु ताव ।।