Nojoto: Largest Storytelling Platform
sharifkhokarkhok9036
  • 75Stories
  • 642Followers
  • 946Love
    237Views

ghalib

रतलामी

  • Popular
  • Latest
  • Repost
  • Video
18338b835916b8f20499eb0f8c387e28

ghalib

दो मुख्तलिफ इंसानों के बीच
प्यार हो ही जाता है दीवानों के बीच

जले तो कितनी जले यह शम्मा भी
दुनिया आ ही जाती है परवानों के बीच

के मिले दो दिल तो इतनी शिद्दत से मिले 
प्यार नहीं सौदा होता है दो खानदानो के बीच

ऐसा हो तो मैं वैसा हो तो तुम मर जाना
ऐसे होता है इश्क हम नादानो बीच

©ghalib #Health
18338b835916b8f20499eb0f8c387e28

ghalib

कहते हैं मुझ जैसे को जन्नत नहीं मिलती
करते हैं जो सभी से प्यार उनको मन्नत नहीं मिलती

मान लूं मैं कैसे तेरी ही बात वाइज
जबकि खुदा की फितरत में तो नफरत नहीं मिलती

हमसे अच्छी तो परिंदों की जात  है बशीर
उनके यहां कोई फिरका परस्त नहीं मिलती

आने पे याद उस दोस्त की बहुत रोया हूं मैं
दिल में जिसके पहली सी मोहब्बत नहीं मिलती

जो चाहे वह करें हुक्मरा अब हमारे साथ
शहरों की भी अब हमारे पहली सी तबीयत नहीं मिलती


लड़ते हैं हम उसकी जात को लेकर इतना क्यों 
(शरीफ)
जबकि उसको तो बोलने की फुर्सत नहीं मिलती

©ghalib #selflove
18338b835916b8f20499eb0f8c387e28

ghalib

मेरे होने पे तू खुश ना सही पर है तो सही
घर मेरा ना सही तेरा सही घर है तो सही।
सफर पर मेरे तुझे हैरत ही सही  तो सही
साथ तू नहीं वो सही सफर है तो सही।
जिंदा तो हूं अब भी मैं इतना जहर पीने के बाद
जहर मुझ में ही सही जहर  है तो सही।
बिखर कर मुझे खबर करनी है तुझे खबर
खबर मरने कि सही ख़बर तुझे है तो सही 
इधर तू उधर में उधर में इधर तू गलत
 इधर उधर क्यू जाएं मरने को समन्दर है तो सही 
जिधर चले जमाना उधर चलना था तुझे शरीफ 
मेहरबां तू नहीं खुदा सही कोई रह गुजर है तो सही।

©ghalib #Morning
18338b835916b8f20499eb0f8c387e28

ghalib

मुद्दतों सोया नहीं अब जागना है मुझे
इन झूठे ख्वाबों से भागना है मुझे

गोया खुदा भी हो अब काशिफ मुझ पे
तब भि कोइ घोसला नहीं बनाना है मुझे

देख कर मेरा हाल दो फरिश्ते मेरे भी रोने लगे
छुड़ाकर नामेआमाल मेरा जख्म दिखाना है मुझे

काश रोना ही इलाज होता मेरी इस उकुबत का
इतना बहा के आंसू इस समंदर को भी खिलाना है मुझ

जब दिन ही हो चार तो हजारों गम क्यों 
अब जिंदगी ए उसूल को खुदा से बदलवाना है मुझे ।

©ghalib #Mic
18338b835916b8f20499eb0f8c387e28

ghalib

अकीदत हो इतनी इश्क में बर्बाद हो सके
ये पे चो खम के रास्ते पर भी आबाद हो सके

हे सिफत से वाकिफ मेरी मेरा स्य्याद भी
कैद में भी नहीं रखता कि आजाद हो सके

हे लड़ाई मेरी मेरे अगियार से इतनी सी
सामने तो आए ताकि हम उसे याद हो सके

तज़किरे कितने भी हो मेरे मेरी अजदाद के
हम वो नहीं कि नये फिर इजाद हो सके

 रोना तसव्वुर रे ख्याल इंसान का नहीं तो क्या  बिल ग्रज कोई रुलाए हमें कि हम शाद हो सके।

Sharif khokar ratlami

©ghalib #changetheworld
18338b835916b8f20499eb0f8c387e28

ghalib

इन हसरती हवाओं से बुझता जा रहा हूं मैं
चराग यह जलेगा कब तक कि मरता जा रहा हूं मैं

मौत पर तो मेरी भी आएंगे कोई चार लोग
बेवजह क्यों इतनी शोहरत पाता जा रहा हूं 

यकीं तो मुझे भी है कि पड़ेंगे वो मुझे कभी
हैरत उनको ये है कि क्यों लिखता जा रहा हूं मैं

हम ही से है हम पे है सादगी हमारी अपनी
क्यों बद म्यारेबुलंदी पर बैठकर इतराता जा रहा हूं मे
हूं गोया तो मै भी उसी खुदा का बंदा
ये 
लोगों को और ही तस्कीन कराता जा रहा हूं मैं

©ghalib #Flower
18338b835916b8f20499eb0f8c387e28

ghalib

अस्क ही से ना हो गम मालूम इसे अब बदला जाए
 देखते हो तुम जैसे हसीनों के आंसू वैसे हमें भी परखा जाए 
रोशन किरदारों की इस दुनिया में खुदाया हम भी हैं 
अब कहानी को थोड़ा हम पर भी मोड़ आ जाए

बिकने पर है दाम बहुत इस शोहरती दुनिया में।
इतने सस्ते भी नहीं कि बाजार से हमें खरीदा जाए

देखे तो है बहुत खुदा हमने इस जमाने में ।।
अब थोड़ा बंदो को भी पूजा जाए ।।

क्यों डराता है वाएज हमें उसूल ए आसमानों से 
चलो =शरीफ=अब जमी पर ही एक जन्नत को लाया जाए ।

©ghalib #Smile
18338b835916b8f20499eb0f8c387e28

ghalib

कब थीं मै उससे अनजान पता नही  
कब हो गई उससे पहचान पता नहीं। 

कब लाया था वह तोड़कर चांद पता नहीं
कब हों गयी मेरी भी वो जान पता नहीं 

कभी ली थी उसने भी यह ठान पता नहीं 
वह रखेगा मेरी भी आन पता नहीं। 

कब बन गई उसकी इज्जत ए बान पता नहीं
कब तक रखनी है  यह झूठी शान पता नहीं

कभी थी में भी उसके लिए इंसान पता नहीं
कहां गई वह मेरी भी पहचान पता नहीं 

कब तक इन पत्थरों में है जान पता नहीं 
चुप हूं।पर मेरे मुंह में भी है जबान पता नहीं 


शरीफ रतलामी ,

©ghalib #WorldBloodDonorDay
18338b835916b8f20499eb0f8c387e28

ghalib

#MessageOfTheDay इतनी दोहरी सी जिंदगी बिताऊ कैसे।
दर्द इतने हैं कि इन्हें दबाऊ कैसे। 
दिखने लगे जखमं अब आंखों से मेरे।
अब ये राज भी उनसे छुपाऊं कैसे।
परेशा हूं ये बात वो तो जान ले 
बात यह दुनिया को बताऊं कैसे।
न समझ आए मुझे दस्तूर ए दुनिया।
 इस दुनिया में अपनी जगह बनाऊं कैसे।
ना उम्मीदी की इंतिहा इसी उम्मीद पे ।
खुद वो समझें उन्हें बता के मैं रूलाऊ कैसे।

©ghalib #Messageoftheday
18338b835916b8f20499eb0f8c387e28

ghalib

तेरी मुलाकातों का असर लिए घूमते हैं ।
हुआ यूं कि हमारी शख्सियत को बेअसर लिए घूमते हैं

©ghalib #paper
loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile