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rupakkumar7278
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Rupak Kumar

मैं कवि हूं कविता लिखना मेरा धर्म और कर्म है। श्रृंगार ही नहीं समाज की सच्चाई को भी लिखना कवि का कर्म होता है।

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Rupak Kumar

दिल का दर्द.......

तुम्हारे ही प्यार में ये दिल टूटा है
दिल में दर्द तो बहुत  है फिर भी
दुनिया के सामने इजहार नहीं करता हूं।
तुम्हे कोई भी बेवफा कहे , ये शब्द मैं
जिंदगी भर कभी  सुन नहीं सकता 
दुनिया को झूठा ही यकीन दिला देता हूं
झूठी मुस्कान से सच्चाई को छुपा लेता हूं
कोई तुम्हे हरजाई कहे और बेवफा कहे
सुनने से पहले ही मरना मुझे मंजूर होगा !
इस मोहब्बत में तुम्हारा कुसूर क्यों दूं ?
इश्क़ तो सिर्फ मैंने ही दिल  किया 
गम के आंसू को भी , खुशी का या 
कुछ चले जाने का बहाना बता देता हूं
मैंने तुझ पर अपने
 सांस से भी ज्यादा भरोसा कर लिया
शायद इसीलिए इसमें सिर्फ मैं ही रोया 
तुमने रत्ती भर भी भरोसा नहीं किया
माना मैं  सुंदर नहीं था सकल सूरत से,
 औरों की तरह धनवान नहीं था धन से
लेकिन अपने जान से भी ज्यादा सिर्फ
तुमको चाहते थे।
सुनकर तेरी बातो को तेरी ही सूरत को
देखकर हर दिन की शुरुआत करता 
खुदा से अपने लिए कभी नहीं सिर्फ
तुम्हारे खुशियां के लिए दुआ मांगता रहा
इसलिए उसने  जिंदगी भर का गम दिया
तुम्हे देखकर ही खुद को दुनिया का
सबसे ज्यादा किस्मत वाले समझते थे
तुमको दुनिया की महारानी तो नहीं
अपनी ज़िंदगी का महारानी जरूर बना लेता
एक बार आदेश तो करके देखता 
क्या चाहिए था तुम्हे 
अपनी खुशियां को भी लुटाकर
तुम्हारे लिए खुशियों खरीद कर लाता
जिंदगी में खुशियां सूरज की तरह 
निकला और शाम की तरह ढल गया
तुम्हारा नशा ऐसा चढ़ा है कि 
अब शराब की नशा भी नहीं चढ़ती है
वक्त अगर जवाब देता तो
उसको ये पूछता कि अपने साथ
अपनों को भी क्यों बदल देते हो
लगता था जिंदगी मेरी खुशहाल है
पता नहीं था कि सिर्फ ये एक सपना है
जो पल भर में ही टूटने वाला है
तुम्हारे सभी शिकायत को
 इसी दिल में ही कब्र बना दूंगा
एक कब्र को दुनिया देखती है
इस कब्र को कोई नहीं देख पाएगा
लाख सोचता हूं कि तुम्हे
 भूलकर आगे सफर की शुरुआत करूं
लेकिन हर बार तुम्हारी याद मेरे
पैर को हमेशा पीछे खींच लेती है
भूलकर भी कभी
किसी और खुशी की तरफ नहीं देखा
खुशी मिले या गम सदा सिर्फ तुम्हे ही देखा
क्यों तुम्हारी शिकायत किसी और से करूं
कोई और तो तुम्हे जिंदगी में ला नहीं सकती
और कोई और मेरे जख्म की
 गहराई को भर भी नहीं सकता
ये ऐसा जख्म देने के लिए तुम्हारा शुक्रिया
बस एक और मेहरबानी कर दे
 मुझको अपने पास मुझको भी बुला ले
दिल में दर्द तो बहुत है कौन कौन सा लिखूं
लिखने पर इंक और पेपर ही कम पर रहा है
जो भी हो अब इस राज को इसी दिल में
झूठी मुस्कान का जहर देकर इसे दफन कर देंगे
लेकिन कभी भी इन बातो को
दुनिया के सामने कभी भी बयां नहीं करेंगे।
लाख छुपाने के बाद भी कोई इसे पहचान लेते हैं
फिर उसके सामने झूठ बोलकर ही
इस बात की झूठ बात बता देता हूं
©रूपक

©Rupak Kumar #दर्द
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Rupak Kumar

पता नहीं खुदा किस बात कि सजा देती है
 मेरे ही साथ हमेशा ये खेल क्यों खेलती है
 मेरे जीवन में खुशियां का दीप जलाकर 
फिर हमेशा के लिए उसे यूं बुझा देती है
आंखो में खुशियां देकर फिर रुला देती है।

©Rupak Kumar
  #SAD
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Rupak Kumar

पता नहीं खुदा किस बात कि सजा देती है
 मेरे ही साथ हमेशा ये खेल क्यों खेलती है
 मेरे जीवन में खुशियां का दीप जलाकर 
फिर हमेशा के लिए उसे यूं बुझा देती है
आंखो में खुशियां देकर फिर रुला देती है।

©Rupak Kumar #SAD
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Rupak Kumar

इसको इंसान की नियति कहें
या इसे किस्मत का खेल कहें,
यदि किसी को दिल चाहता है
वो किसी और को चाहता है।

जिनसे हमें खुशियां मिलेगी
उनसे हम दूर चले जाते है,
जिनसे मिलना मुश्किल है
उसी को हम ढूंढते रहते है।

©Rupak Kumar #welove
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Rupak Kumar

माॅं‌ तुम्हारी बहुत याद आती है.....

माॅं तुम्हारी बहुत याद आती है
और आंखों से आंसू भी टपकती है
याद आती है वो बात
जिद्द करके हाथों से खाना खिलाती थी
क्या कहें, अब भूख भी कहां लगती है
खाना दिनों तक ऐसे पड़ी रह जाती है
याद आती है
जब तेरे गोद में सर रखकर सोते थे
अब देर रात तक नींद ही नहीं आती है
याद आती है
सूर्य निकलने से पहले ही जगाना
पता नहीं आख़री बार उगते सूरज
से मेरी नज़र कब मिली थी
अब दिन चढ़ने के बाद नींद खुलती है
शहर के मतलबी लोगों के बीच में
याद तुम्हारी बहुत आती है
याद तुम्हारी बहुत आती है
ठंड में , आधी रात को आकर 
रजाई को फिर से सही करना
बीमार होने पर रात भर जगना
अब बीमार होने  पर तेरी याद आती है
कई दिनों तक अब होश भी नहीं रहता है
बारिश में देर तक भींगने से बचाना
तेज धूप में निकलने से रोकना
अब कोई नहीं है यहां पुछने वाला
अपनी फिक्र से ज्यादा मेरा फिक्र करना
अनजानों की बस्ती में कोई नहीं है
यहां मेरा फिक्र करने वाला
जेल में तो नहीं
मगर जेल जैसा ही जिंदगी लग रहा है
लोग तो यहां बहुत मिलते हैं
अपना कहने वाला कोई नहीं मिलता है
मतलब के वक्त ही कोई करीब आते हैं
तुम्हारी तरह बेमतलब का प्यार, दुलार,
और बात भी कोई नहीं करता है
कोई कितना भी खुद को बेमतलबी कहे
दो दिन में ही सभी मतलब पर आ जाता है।
मजबूर हो गया हूं मैं
हालात, वक्त ‌और किस्मत के हाथों
वरना पल‌भर भी कभी
 तुमसे दूर नहीं रहना चाहता हूं
माॅं इस शहर में  तुम्हारी बहुत याद आती है
याद तुम्हारी बहुत आती है

©Rupak Kumar
  #Love #Mother #Dil 

#MothersDay
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Rupak Kumar

अब नहीं.......

ऐ खुदा मैं तुम्हे अब नहीं पुजुंगा
क्यों मैं तुमको पुजूं ?
तुमने तो सारी खुशियां ही छीन ली
जिंदगी दी तो फिर  मर मरकर
जिंदगी जीने के लिए ही क्यों दिया?
मैं तुम्हे अब नहीं पुजूंगा
क्योंकि अब तू मेरा खुदा नहीं
जिसका तुम खुदा बना है 
वो तुम्हे बेशक पूजे मुझे कुछ नहीं
दिल के करीब हर वस्तु को,
तुमने सिर्फ छीना ही है ।
एक आशा का वृक्ष पनपा था ही कि
बड़ा होने से पहले ही ,
उसको मुरझा दिया तुमने
इसलिए मैं ,
अब नहीं तुमको पूजने वाला हूं
अब मिट गया हर डर तेरा डर
नहीं कुछ बचा है अब कोई लालच 
नहीं चाहिए अब तुमसे कुछ भी
ये को सांस बचा है
 इसको भी लेना है तो ले ले !
मैं अब नहीं तुमको पूजने वाले हूं
और अब नहीं तुमको पूजुंगा
मुझे खुद पे घमंड नहीं
लेकिन अब तुमपे विश्वास नहीं
मैं एक इंसान हूं सिर्फ इंसान
चोट लगती है, आंसू भी बहते हैं
तुम पत्थर के थे, पत्थर के ही हो
तुम्हे किसी के दुख और दर्द का
कुछ भी एहसास नहीं होता है
मैं अब नहीं तुमको पूजने वाले हूं
और अब नहीं तुमको पूजुंगा

©Rupak Kumar #Love #Life #Dil 
#bharatband
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Rupak Kumar

यही इश्क़ है !

आज कल वो हमसे ये शिकायत करती है
हम भूल गए हैं अब याद नहीं किया करते हैं।

कैसे दिखाएं /  बताएं उन्हें की उनसे जुदा
होकर दिन मेरा तनहा ही गुजरा करते है।

जुदा होकर दिन, रात तो गुजरता है मगर
कैसे बताएं की ये बेरंग ही गुजरा करते है।

कितने नादान हो मेरी हालत नहीं दिखता है
ऐसा हाल है कि ये दिल सिर्फ रोया करते है।

अब पल पल इश्क़ को परीक्षा देना पड़ता है
सोचता हूं अब क्या  ऐसा ही हुआ करते है।
© रुपक

©Rupak Kumar #Love #इश्क़ 
#LostInNature
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Rupak Kumar

माना प्रेम एक एहसास है , 
जो अपने दिल में जगता है, 
उस प्रेम का मज़ा और भी
कई गुना हो जाता है
जो इजहारे ए इश्क होता है।

©Rupak Kumar #Love #Dil #nojato 

#freebird
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Rupak Kumar

क्या ये इंसान नहीं......

नाम कितना छोटा सा एक शब्द है
जिसे समझाने में पूरी जिंदगी भी कम पड़ जाती है
उसके लिए उनका एक इंसान होना काफी नहीं है!
कैसा इंसान है ये, क्या ये सच में इंसान ही है ?
 जो इंसान को, इंसान के रूप में नहीं स्वीकारता है
' रुपक ' इसे इंसान नहीं पापी और हैवान मानता है।
जैसे तुमको तो इज्जत और सम्मान बहुत प्यारी है
उनको भी तो ये प्यारा है ये क्यों नहीं समझते हो
क्यों इनको भी एक इंसान नहीं मानते हो ?
क्यों किसी भी इंसान को जाति, लिंग,धर्म, बोली
 और क्षेत्र  में बांटते रहते हो?
क्या उसका एक इंसान होना काफी नहीं है
तुम्हारे अंदर अच्छा और खराब को सेट कर दिया है
कभी अपने दिल से भी अच्छा खराब को भी सोचो 
अपने पुस्तों की पहचान लेकर हमेशा इठलाते हो
कभी खुद का  नाम और पहचान बनाकर तो देखो
कभी अहंकारी नहीं सिर्फ एक सच्चा इंसान बनो
अपने अंदर के अहंकार मारकर इंसानियत दिखाओ
©रुपक

©Rupak Kumar #Love #people #Life #Dil 

#LostInNature
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Rupak Kumar

सच और झूठ की हालत.......

झूठ बोलने वाले को हमेशा हंसते देखा है
और सच बोलने वाले हमेशा रोते देखा है।

उसको देखो जरा उसने झूठ बोलकर ही
सारी खुशियां खरीद लिया है
और एक इसको देखो इसने सच बोलकर
अपनी सारी खुशी को लुटा लिया है।

देखो उस व्यभिचारी को झूठ बोलकर ही
इस जहां में खुदा बन बैठा है, ये भीड़
भी इसी की जयकार लगाने को खड़ा है।

सच बोलने वाले को देखो इसी के बगल में
कटोरा लेकर पेट खातिर भीख मांग रहा है।

दर्पण भी कहां सच दिखता है, ये भी उसी की
भाषा बोलती है, ये भी तो झूठ बोल रहा है
सच के  सपने भी तो इसके पास आकर
 इसी का  गुलाम बन जाता है।

दर्पण मे अपनी हालत देखकर खुद डर रहा है 
ये अपना  आंसू को भी नहीं रोक पाता है 
जब इनको गुजरे हुए दिन की याद आती है ।
© रुपक

©Rupak Kumar
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