Nojoto: Largest Storytelling Platform
naveenkumar8493
  • 173Stories
  • 427Followers
  • 2.3KLove
    9.4KViews

Kumar Manoj Naveen

जय खजराना गणेशजी i

  • Popular
  • Latest
  • Video
280d33efb8a6923bcaddd8980fb8aec3

Kumar Manoj Naveen

आज watsup नहीं चल रहा है, 
घंटों में ही परेशान हो गए हैं हम। 
सोंचो कल, ट्विटर, फेसबुक, सभी सोशल मिडिया प्लेटफॉर्म बंद हो जायेंगे तो क्या जी नहीं पाएंगे हम।। 
ऐसा भी तो हो सकता है, UPI, phone pay, money transfer के सारे app यहाँ तक की इंटरनेट ही बंद हो जायेंगे। 
तब तो परेशानी ही नही, परेशानियों के अंबार लग जायेंगे।। 
आज हम पूरी तरह से इंटरनेट, और इन apps के गुलाम हो गये हैं। 
गुलामी तो गुलामी होती, फिर चाहे किसी व्यक्ति की हो या फिर कोई तकनीकी संसाधन।। 
आओ मिलकर सोचें, इनसे कैसें आजाद होंगे हम। 
अभी से ढूँढना होगा रास्ता, तभी बच पाएंगे इनसे हम।।

©Kumar Manoj Naveen #Whatsapp
280d33efb8a6923bcaddd8980fb8aec3

Kumar Manoj Naveen

कोई लाख छुपाये, हकीकत छुपती नहीं है, 
दिल की बात, ज़ुबाँ नही तो आँखे बोल ही देती  है। 
मोहब्बत करने वालों के  हावभाव  बदल जाते हैं, 
ये दीवानगी, अच्छे आदमी को भी पागल बना देती है।

©Kumar Manoj Naveen #Love

10 Love

280d33efb8a6923bcaddd8980fb8aec3

Kumar Manoj Naveen

थोड़ी सी खुशी, गम बेशुमार, 
जिंदगी की राहों में कांटों का अंबार हैं । 
मृगमरिचिका सी दिखती है मंजिल, 
हकीकत मे कहाँ बुझती  प्यास है?

©Kumar Manoj जिंदगी की प्यास

#findyourself

जिंदगी की प्यास #findyourself

8 Love

280d33efb8a6923bcaddd8980fb8aec3

Kumar Manoj Naveen

अजीब दास्तां है सुनाए न बने,
पर बिन कहे भी दिल कैसे रहें।
बच्चे थे तब सोचते थे कब होंगे हम बड़े,
अब सोचते है क्यों हुए हम बड़े?
न होते बड़े,न होती जिम्मेदारी,
रोजी-रोटी के संघर्षों से सदा होती दूरी।
ना आफिस की होती चिंता,
न बास शब्द कोई जानता?
होती नही हमारी शादी,
न होते बीबी- बच्चे,
नहीं होती रोज किच-किच।
घर में शांति होती।
क्या नजारा होता?
बस अपना ही राज होता।
घर तब हमारा होता।
मां-पापा, भाई-बहन सब साथ होते,
एक-दूसरे संग हिल-मिल दिन बिताते।
मां के हाथ की रोटी का स्वाद होता,
पापा के डांट का बस अख्तियार होता।
पर प्रकृति के नियमों पर जोर चलता कहां है?
होता वही है जो विधना ने लिख दिया है।

***नवीन कुमार पाठक (मनोज)*****

©Kumar Manoj प्रकृति के नियम#

प्रकृति के नियम#

15 Love

280d33efb8a6923bcaddd8980fb8aec3

Kumar Manoj Naveen

हास्य-व्यंग्य
वो कौन सी खता थी ,जिसकी सजा है तू ।
वर्षों भुगतने के बाद भी ,माफ़ी नहीं है क्यूं?
इस आजीवन कारावास में, पेरोल भी नहीं।
जीते जी बचाव का ,दूजा रास्ता क्यूं नहीं?
 पुलिस, वकील और जज सब कुछ हैं वही।
 बगैर गुनाह आरोपो़ की लगा देतें है झडी।
 दलील औरअपील का हक तो कानून भी देता है।
 यहां तो तानाशाह हिटलर का, बस आदेश चलता है।
 भगवान जाने! कैसे ये सजा की अवधि होगी पूरी।
 कहीं ये न हो, सात जन्मों के साथ की बात हो सही।।
 
 
 ***नवीन कुमार पाठक (मनोज)*****

©Kumar Manoj पति-पत्नी हास्य व्यंग#

पति-पत्नी हास्य व्यंग#

10 Love

280d33efb8a6923bcaddd8980fb8aec3

Kumar Manoj Naveen

आपदा में अवसर

आइए आपदा में अवसर तलाशने वालो का कुछ नाम रखते हैं।
इन्हें गिद्ध कहे,नहीं गिद्ध कहाँ अपनो का मांस खाते है? 
कुत्ता कहे तो ये नाइंसाफी होगी,कम से कम मालिक संग तो वफादार होते हैं।
भेड़िया भी नहीं कह सकते,भेड़िए भी झुंड का साथ देते हैं। 
शेर,बाघ,चीता तो कत्तई नहीं,वो तो सामने से शिकार करते हैं।
राक्षस थोड़ा ठीक है पर ऐसे में दानवीर राजा बलि जैसे महाबीरों का भी अपमान करते हैं।
ऐसे मानवों का क्या नाम रखे,जो खुद इंसानो के रक्त का पान करते हैं?
इंसान होके इंसानियत का सीना तार-तार करते हैं।
सांसो की रक्षा के बदले,सांसो का व्यापार करते हैं।
दवा की जरूरत वक्त,दवाओं का कालाबाजार करते हैं। 
ज़िन्दगी बचाने के बजाय,मौत का उपहार देते हैं।
फिर एक नाम मेरे ज़ेहन में आया,शायद आप भी इत्तेफाक रखते हैं। 
 इन इंसानी रक्तपिपासुओं का नाम हम नरपिशाच रखते हैं।। 
 ****नवीन कुमार पाठक ****

©Kumar Manoj #आपदा में अवसर #

#seashore

#आपदा में अवसर # #seashore

9 Love

280d33efb8a6923bcaddd8980fb8aec3

Kumar Manoj Naveen

उपरवाले तुझे खबर नहीं, ये हो नहीं सकता।
है पता तो फिर कुछ क्यों नहीं करता?
माना हमने की होगी बड़ी खता, 
पर क्या इसकी इतनी बड़ी सजा?
उम्र हो गई हो जिनकी पूरी, बात समझ में आती है।
जिनके छोटे -२ मासूम से बच्चे, उन पर क्या तरस नहीं आती है?
आप तो दयानिधान कहलाते हो।
अपने भक्तो को क्यों तडपाते हो? 
यही रहा तो धरती से नामो निशान मिट जाएगा।
आपको पूजने वाला कोई इंसान नहीं बच पाएगा।। 
इंसानो संग आपका अस्तित्व भी खतरे से खाली है।
हे प्रभु !कुछ तो करो,वरना दुनिया मिटने वाली है।।
जब -२ भक्तो पर भीर पड़ी है, प्रभु जी तुमने की रखवाली है ।
फिर से विपदा आन पड़ी है,आयी फिर तुम्हारी बारी है।।

©Kumar Manoj #प्रार्थना #
280d33efb8a6923bcaddd8980fb8aec3

Kumar Manoj Naveen

माँ " ये शब्द नहीं सारा जहान है।
इनसे बढके नहीं कोई मकाम है।।
ममता का सागर,प्यार की खान है। 
जीवन की अनुभूति व पहचान है।।
"माँ" एहसास है हर पल दिल के पास है।
"माँ" आशीर्वाद है हरदम बच्चों के साथ है।।
"माँ "त्याग है संस्कृति है संस्कार है। 
"माँ "भगवान का दिया अद्भुत उपहार है।। 
"माँ "का बखान के लिए शब्द नहीं उपलब्ध है। 
"माँ" शब्द के आगे सारी दुनिया निशब्द है। 

"माँ "तुझे कोटि -कोटि प्रणाम है।

©Kumar Manoj #MothersDay2021
280d33efb8a6923bcaddd8980fb8aec3

Kumar Manoj Naveen

आज आदमी के जीने का अंदाज़ बदल गया, 
अपने हो या गैर दूरी ही शिष्टाचार बन गया । 
हेलो हाय, नमस्कार, राम-राम और सलाम शब्दों में  होते हैं, 
झुक के प्रणाम, हाथ और गले मिलने की अदब, अब इतिहास बन गया।
 फैशन में कपड़े -जूते और इत्र ही ब्रांडेड शुमार होते थे, 
पर इनके साथ मास्क और सेनेटाईजर का भी ब्रांड जुड गया।
अब चाय में भी काढे का ही स्वाद आता है, 
गिलोय,अजवाईन,काली मिर्च,लौंग,तुलसी घर का अहम हिस्सा हो गया, 
एसी- फ्रिज- कूलर  के उपयोग से डरने लगे हैं लोग, 
अब तो गर्मी और लू में बस पंखा ही सहारा रह गया, 
अब कोई किसी को गाडी में लिफ्ट देता नहीं है, 
संक्रमण का खतरा,परोपकारी संस्कार बदल दिया । 
चेहरे की खूबसूरती नकाबो में छिप गई है, 
मन की सुंदरता, तन की सुंदरता पर बाजी मार गया । 
खफा है या फिदा, अब नजर नहीं आता है, 
चेहरा पढने की कला लुप्तप्राय हो गया। 
रिस्तेदारियां, मेहमानवाजी, विवाह, पूजा-पाठ, 
यहाँ तक की अंतिम संस्कार की भी सारी रीत बदल गयी, 
हम आप ही नहीं, थोडा कम थोड़ा ज्यादा सारी दुनिया बदल गयी।

©Kumar Manoj जीने का अंदाज़ #
#dawn

जीने का अंदाज़ # #dawn

14 Love

280d33efb8a6923bcaddd8980fb8aec3

Kumar Manoj Naveen

आईए सुनाता हूँ ,एक करुंण कहानी, 
एक छोटे से परिवार में थे चार-प्राणी ।
हम दो हमारे दो में पूरा विश्वास था उनका, 
बच्चों में एक लड़की, दूसरा था लड़का। 
अचानक कोरोना की घर में दस्तक हो गई , 
मुखिया हुआ बीमार, इलाज जरुरी हो गई। 
किसी तरह अपनो ने अस्पताल पहुंचाया, 
लंबी कतारें देख ,माथे पे पसीना आया ।
सुबह से हुई शाम, तब कही जाकर नम्बर आया ,
राहत की सांस ली, और बिस्तर मिल पाया।
भर्ती और इलाज का जब खर्च बताया गया , 
कोरोना का बुखार, 104 से 99 पर आ गया।  
इलाज हुआ प्रारम्भ,डाक्टर ने दवाओं की पर्ची थमायी,
रेमडीसेवर इंजेक्शन की तत्काल आवश्यकता बतायी ।
व्यथित उसकी पत्नी ने, कहां -कहाँ नहीं खोज करायी।
 पर कहीं से कोई उम्मीद की किरण नजर नहीं आई। 
तभी एक आदमी रुपी-गिद्ध से मुलाकात हो गई, 
वो कोई और नहीं, अस्पतालों का ही था जमाई। 
रेमडीसेवर की कीमत, उसने बीस गुना बताई , 
मरता क्या न करता,मुहमांगी उसे कीमत चुकाई।
इंजेक्शन के प्रबंध से लगा अब बात बनेगी ,
कोरोना पे होगी जीत, खुशी लौट आवेगी। 
पर ये क्या? इतने जतन के बाद भी बचाया ना जा सका, 
पत्नी के माथे का सिंदूर, बच्चों के सिर पर बाप का साया ना रह सका। ,
अभी भी कहानी का अंतिम अध्याय बाकी है, 
दिल झकझोर देने वाला, क्लाइमैक्स बाकी है।
अस्पताल वालों ने लाखों का बिल थमा दिया, 
बिल न देने पर ,शव देने से मना कर दिया।
यह दृष्य देख, हृदय तार-तार हो गया, 
आज आदमी इतना ,कैसे निष्ठुर हो गया!

©Kumar Manoj #COVIDVaccine
loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile