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shikhashalet7269
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Sadhna Sarkar

Teacher by profession Writer By heart ❤️ इक अधूरी दास्तां और लफ्ज़ों का कारवां 💫

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Sadhna Sarkar

Blue Moon रिश्तें टूट जाते है,पर

हमारा दिल उन्हीं रिश्तों के
आस - पास ही कहीं रहता है 
कभी याद बन कर आंखों से 
आंसू बन कर छलक जाता है 

तो ,कभी मुस्कुराहट बन कर 
लबों को मीठी हंसी दे जाता है 
रिश्तें तो एहसासों का ही नाम है 
इसे ना कोई ज़ंजीरों से बांध पाया है 

मत कर दिल से कोई फ़रेब,ये जब
रोता है तो, खुदा भी पिघल जाता है 
होती नहीं आवाज़ टूटने की इसकी 
पर क़यामत लाने की ताक़त रखता है।

©Sadhna Sarkar #ankahe_jazbat
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Sadhna Sarkar

White हर गुजरता साल कोई ना कोई सीख -सिखा ही देता है 
और उस सीख से हम थोड़े और परिपक्व बन जाते है 

ज़िंदगी भर ये सिलसिला यूं ही साल दर साल चलता है 
तब तक,जब तक हम इस ज़िंदगी की डोर से बंधे हुए है 

ये सीखना ,सिखाना बस एक पल में बंद हो जाता है 
जब कोई इंसान*है * से *था * में तब्दील हो जाता है।

©Sadhna Sarkar #ankahe_jazbat
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Sadhna Sarkar

White जैसे भी गुज़रे .... गुजारनी होगी
हर दर्द को हंस कर टालनी होगी
ख्वाहिश अब गुलों की कौन करें 
अब तो कांटों से निभानी होगी।

©Sadhna Sarkar #ankahe_jazbat
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Sadhna Sarkar

White  प्रेम अमूनन  ऐसा ही होता है,
जब तक वो रहता है,तब तक 

ज़िंदगी में सांस बनकर रहता है, और 
जब छूटता है तो,एहसास बनकर रहता है 

निशान चले जाते है,लेकिन दर्द फ़िर भी रहता है
और शायद ये प्रेम की पराकाष्ठा होती हैं।

©Sadhna Sarkar #ankahe_jazbat
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Sadhna Sarkar

वो मौसम नहीं ,कि कुछ महीनों में बदल जाएगी
वो बादल नहीं ,कि बिखर कर ऐसे  बरस जाएगी ..

वो कोई  ऐसा लम्हा नहीं,कि यूं ही बीत जाएगी
 वो ऐसी गुल नहीं,जो किसी कांटे से डर जाएगी ..

ना ही है ,वो कोई बंजारन जो पता बदल जाएगी
वो तो प्रेम है, जो सबके दिलों में घर कर जाएगी ..

©Sadhna Sarkar #ankahe_jazbat
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Sadhna Sarkar

White विवाह एक सामाजिक व्यवस्था है!
और
प्रेम बस एक आत्मिक अवस्था है!

©Sadhna Sarkar #ankahe_jazbat
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Sadhna Sarkar

White लोगों की  बेतुकी बातों को क्यों दिल से लगाना 

जिनका तो काम ही होता है कुछ का कुछ कहना

ज़िंदगी  ये  तुम्हारी है  ,इसे तुम्हे ही है संवारना

जो टूटे घर की ईंट को चुराएं उनसे क्या डरना

©Sadhna Sarkar #ankahe_jazbat
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Sadhna Sarkar

White एक स्त्री जल ,वायु,छाया,प्रकाश के जैसी होती है।

जल-स्नेह से सींचती है 
वायु- जीवन भरती है 
छाया -ममता देती है 
प्रकाश - उम्मीद को बढ़ाती है 

एक स्त्री अपनी ज़िंदगी ,परिवार को संभालने ,निखारने में लगा देती हैं 
और उसे ये सब करने में बड़ी खुशी , संतुष्टि का भाव महसूस  होती  हैं 

शायद इसलिए ही उसे ईश्वर के बाद का दर्ज़ा मिलता है 
और ईश्वर की बनाई उत्कृष्ट रचना में सबसे ऊपर रखा गया है।

©Sadhna Sarkar #ankahe_jazbat
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Sadhna Sarkar

हम अपने मन के भावों को लिखते हैं,लेकिन 
क्या सच में हम पूरा सच लिख पाते हैं,या 

सिर्फ़ उन बातों को लिखते हैं,जिससे हमारी हक़ीक़त 
किसी मुखौटे के पीछे छुपी हुई रह जाती हैं 

क्या हम में वाकई इतनी ताक़त होती हैं,की हम 
अपने भावों को ज्यों का त्यों वर्णन कर सकें 

नहीं ,मुझे लगता है कि,हम अपने मन के धधकते लावे को ढक देते हैं 
और लिख डालते वो जिससे हमारी हक़ीक़त भी किसी पर्दे में छुपी रहें 

और सच में आसान नहीं होता है, ख़ुद के घावों को कुरेदना 
कहीं तो हो ,कभी तो हो जिस जगह इंसान बिना मुखौटे के रहें 

किसी और के लिए नहीं ,बस ख़ुद अपने को जानने के लिए 
हम लेखक हो कर भी हर बात कभी सांझा नहीं कर सकते हैं 

छोड़ देते है लिखना ,उन बातों को जिससे हम आहत होते हैं 
और लिख डालते हैं, अपनी अधूरी ,अनसुलझी मनोभाव को ।

©Sadhna Sarkar #ankahe_jazbat
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Sadhna Sarkar

White देखूं मैं कोई स्वपन सुहाना उसे तुम पूरा कर जाओ
नाम जब भी लूं मैं तुम्हारा तो तुम साक्षात नज़र आओ

मेरी प्रीत से तुम जैसे चंदन सा खुशबूदार महक जाओ
मन के आंगन में तुम तुलसी के पौधे जैसा उग आओ 

वक्त को मुट्ठी में कैद कर लूं ,तुम वो वक्त बन जाओ
वीना की सुरीली तान पर जैसे कोई संगीत बन जाओ 

मुलाकात ज़रूरी नहीं,बस एक परछाई भी बन जाओ
उम्र के इस पड़ाव पर मिले हो,हो सके तो ठहर जाओ

अपनी इन आती जाती सांसों का क्या मैं हिसाब रखूं
गर मुमकिन हो तो,मेरी आखरी सांस तुम बन जाओ 

जैसे पत्थर के बीच उग आती है ,कोई कोमल फूल 
वैसे ही कुछ ऐसी ही,तुम मेरी किस्मत में खिल जाओ

©Sadhna Sarkar #ankahe_jazbat
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