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dharmendrayadav4244
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DHARMENDRA YADAV

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DHARMENDRA YADAV

जुबा बंद है शब्दों की दुनियां जल गई,,अपनी खबर नहीं गैरों का पता देते है लोग। दम घुटता है अपने ही जाल में,,फिर भी खुशियों के लिए परेशान रहते है लोग।।

©DHARMENDRA YADAV #teatime
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DHARMENDRA YADAV

White जुबां बंद है शब्दों की दुनियां जल गई,,अपनी खबर नहीं गैरों का पता देते है लोग। दम घुटता है अपने ही जाल में,,फिर भी खुशियों के लिए परेशान रहते है लोग।।

©DHARMENDRA YADAV #love_shayari
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DHARMENDRA YADAV

White मेरे तन्हा दिल में शोर मत करो,,मै जानता हूं सबको करीब से ।मतलब की दुनिया है रिश्ता नहीं गरीब से। ।तू हवाला मत दे अपनी वफाओं का,,प्यार मिलता है बड़े नसीब से।।

©DHARMENDRA YADAV #love_shayari
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DHARMENDRA YADAV

शरीर की सुंदरता के कोई मायने नहीं जब तक आप अपनी वास्तविक सुंदरता पर काम नही करते।

©DHARMENDRA YADAV #Happychocolateday
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DHARMENDRA YADAV

मन की शांति  आत्मा को सवस्थ और  जागरूक  करती है मन कई युगों से  विचलित  है मन को चेतन सहज योग के द्वारा  आत्मा को बोध शून्य अवस्था में लाया जा सकता है आत्म परिचय के लिए मन का साथ बहुत जरूरी है  संसार में माया प्रबल है मन माया को कभी भी छोड़ना नही चाहेगा ।इसके अपने तर्क  और अपनी वासना है ।कुछ बिरले मन को पकड़ने का साहस करेगे ।बस एक बार कैसे भी मन संयमित हो कर आत्मा के साथ चल दिया । क्रांति घट गई।  वास्तविक जीवन आत्मा को जानने के बाद ही मिलता है ऐसे तो हम बेहोशी को ही जीवन मान कर अपनी उम्र खपा देते है और जब बुढ़ापा आता है तो मौत के भय से राम नाम की कंठी पकड़ लेते है यह जीते जी अपनी आत्मा के साथ अन्याय और अत्याचार है ।

©DHARMENDRA YADAV #agni
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DHARMENDRA YADAV

जब आपकी चेतना संसार में पूरी तरह से उलझ जाती है तब आप ऐसे भिखारी हो जाते हो जिसके कटोरे में संसार तो मिल जाता है।लेकिन आत्मा पंगु अपाहिज हो जाती है सत्य की  तरफ आगे बढ़ने की शक्ति खत्म हो जाती है अपनी आत्मा के अस्तित्वय  को पहचानें बगैर ,इस जगत से खाली हाथ चले जाना जीवन की सबसे बड़ी हार है फूल की कीमत खुसबू से है और आत्मा की कीमत आत्म परिचय से है जीवन का सबसे बड़ा लक्ष्य सत्यकाम सत्यसंकल्प है ।इसके आगे  कुछ नहीं।

©DHARMENDRA YADAV
  #SunSet
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DHARMENDRA YADAV

जो भी सीखे सिखाते रहे,ताउम्र  रटे रटाते रहे,आज पता चला हम जीरो ही ठीक थे। कम से कम अपनी आत्मीयता के साथ एक सेतु तो था। जहां उधार का कोई ज्ञान ना था,अपनी स्वयं की  मासूम पहचान थी।अब तो यंत्रवत से हो गए है लोग,मन का स्विच दूसरे के हाथ में है अब सभी काम फोन से हो रहा है  वास्तविक भावनाएं जो किसी इंसान को इंसान बनाती है वो लुप्त हो गई।

©DHARMENDRA YADAV #achievement
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DHARMENDRA YADAV

मिट्टी में कैद रूह मेरी अपना आसमान खोज रही है।मुझे दो गज जमीं की प्यास नही,अपना जहान खोज रही है।।

©DHARMENDRA YADAV
  #swiftbird
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DHARMENDRA YADAV

मेरी तन्हाइयों का हिसाब तुम क्या दोगे,मैं अपनी जिंदगी खोज रहा हूं।  मेरा खुदा खो गया है कहीं,मैं अपनी बंदगी खोज रहा हूं।।

©DHARMENDRA YADAV
  #sadak
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DHARMENDRA YADAV

गमों से भरा दिल खुदा की इनायत मांगता है।अफसोस बेगानो के शहर में मुहब्बत की रवायत मांगता है।।

©DHARMENDRA YADAV
  #seashore
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