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nidhisingh2359
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NIDHI SINGH SONAM

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NIDHI SINGH SONAM

White जहां भी जिक्र होता है तेरे होने का।
अजीब वो मंजर होता है मेरे खोने का!
मेरी तन्हाइयों में अब भी परछाई है तुम्हारी 
तू नहीं फिर भी तेरी महफिल मेरा ठिकाना होता है।

©NIDHI SINGH SONAM #Couple
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NIDHI SINGH SONAM

White मेरी काया, क्या जानी
 तुमने मेरी पीड़ा..?
यात्राएं अनंत हो चुकी,
 आई सांझ की बेरा!
मेरी काया, क्या जानी 
तुमने मेरी पीड़ा..?
दिन बीत गया, 
बीत गई उम्र की रेखा।
ये जन्म भी रिक्त गया!
कब आएगा सजन का डेरा..?
मेरी काया, क्या जानी
तुमने मेरी पीड़ा..?

©NIDHI SINGH SONAM #ibadat
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NIDHI SINGH SONAM

सारे बंधन छूट गए।
जो निज बंधन से बांध गए तुम!!
मोह कहूं कि प्रेम कहूं..?
किन चिंतन में डाल गए तुम।
देख गए जिन दृष्टियों से!
पुष्प भांति खिल उठी मै!!
 किस वसंत की बात करूं मै!!!
जो निज बंधन से बांध गए तुम!!
छू गए तन ऐसे!
निखर उठी मै अरनिमा सी!
किस सौंदर्य की बात करूं मै!!
सूक्ष्म से विस्तार हुई मै ।
मन पे ठहरी चैतन्याता!
 किस विधि की बात करूं मै!!
किन चिंतन में डाल गए तुम!!
बन बैठे हो अधर के गीत !
किस कोकिल की बात करूं मै!!
सारे बंधन छूट गए।
जो निज बंधन से बांध गए तुम!!

©NIDHI SINGH SONAM #delusion
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NIDHI SINGH SONAM

White मैं मौन रहूं ,तुम बोलो पिया।
तुम संग मै भी डोलू पिया।।
मैं मौन रहूं ,तुम बोलो पिया।
जो छेड़ो तुम ,वही सुर मै पिया।
दो आकार जो ,वही मैं कृति पिया।
तुम सिंचो जो मैं खिल जाऊं पिया।।
बनो आधार तुम ,मै जी लूं पिया।
मै मीरा ,तुम मेरे गिरिधर हो पिया!!
मेरी अभिलाषाओ की नगरी में,
मैं शिवा ,तुम मेरे शिव हो पिया!!

©NIDHI SINGH SONAM #Romantic
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NIDHI SINGH SONAM

White बार बार,अपने जीवन का 
अज्ञातवास जीना!
जीवित होने और ना होने के बीच 
भी भ्रम उत्पन्न कर देता है!!

©NIDHI SINGH SONAM #sad_dp
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NIDHI SINGH SONAM

White  उन पुरुषों के सीने में,
कौन से फूल उगते होंगे?
जो स्त्रियों को रखते है!
एक को प्रेम के लिए,
दूजे को मनोरंजन को....।

©NIDHI SINGH SONAM #कैक्टस
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NIDHI SINGH SONAM

White  प्रेम की ,पीड़ाओं का बोध
हो जाना ,, प्रिय !
तुम्हें ईश्वर और मुझे साधक 
बना देगा !!

©NIDHI SINGH SONAM #प्रेम_अर्पण   शुभ विचार

#प्रेम_अर्पण शुभ विचार

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NIDHI SINGH SONAM

White मन है मृग !
आत्म कस्तूरी!!
स्वयं मे स्वयं की खोज 
है, मृग की कस्तूरी ।

©NIDHI SINGH SONAM # Extraterrestrial life

# Extraterrestrial life #मोटिवेशनल

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NIDHI SINGH SONAM

White 
कल्पित मन प्रिय‌ से‌ मिल आई है!
सोई विरह जागी है!!
रात आधी है, विभावरी है ,
सोई विरह जागी है।

©NIDHI SINGH SONAM
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NIDHI SINGH SONAM

White  अंदर ही अंदर निरंतर युद्ध चलता है!
स्वयं की जीत होती है, स्वयं ही से हारना पड़ता है !!
है मार्ग में बाधक विभिन्न बाधाएं 
परन्तु चले हैं पत्थर को भी पानी किये हम


[बनेंगे हर युग के निर्माण नायक हम]
to be continued.....

©NIDHI SINGH SONAM
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