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unionbankromauma4970
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Manish ghazipuri

simple and normal boy and writer

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Manish ghazipuri

White पुछेंगे   सब   हाल,  तुम्हारा  बारी  बारी,
कर   देंगे   बेहाल, तुम्हें  सब  बारी बारी।
गुलशन में कुछ फुल खिले हैं मुश्किल से,
बर्बाद  करेंगे  गुलशन को सब बारी बारी।

कुछ   पल  कुछ संन्यासी होंगे बारी बारी,
कुछ  क्षण  को अविनाशी होंगे बारी बारी।
चंदन, अगरु,  तिलक लगाऐ तन महकेंगे,
बिष उगलेंगे मिलजुल कर सब बारी बारी 

बैरागी    बन   आयेंगे   सब   बारी  बारी,
परिधानों   में    वेष    धरेंगे    बारी बारी।
तन   बैरागी   मन   अनुरागी   वाले होंगे,
बन   भुजंग  फिर फुफकारेंगे बारी बारी।

गीता और पुरान सभी को अस्त्र  बना कर,
रामायन की महिमा को भी शस्त्र बना कर।
अनाचार   में   लिप्त    सदाचारी    आयेंगे,
दर्शन   पूजन    करवायेंगे    बारी     बारी।

फिर कबिरा की सिसकी,औ आंसू तुलसी के,
कैसे  वंशज    कहलायेंगे, मां    हुलसी     के।
मीरा  और   रसखान   कहीं   न   खो   जाये,
खुद  कर   लें  अनुमान  चलो हम बारी बारी। 
 

                                               मनीष तिवारी।

©Manish ghazipuri #बारी बारी से

#बारी बारी से #विचार

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Manish ghazipuri

जाने   कैसे   लोग    मिलेंगे,
जाने  क्या  क्या  बातें होंगी।
गले    मिलेंगे    बारी   बारी,
या   पीछे   से   घाते   होगी।
नये शहर में आ ही गये जब,
शायद  दिन  में  रातें   होंगी।

शीशे    की   दीवारें     होंगी, 
कागज के सब फूल खिलेंगे।
खुश्बू  के मादक  झोंकों  में,
शुष्क  हृदय के  तार  हिलेंगे।
आंखों  से  झरते  अश्कों  से,
सावन   की   बरसातें   होंगी।
जाने  क्या  क्या  बातें  होंगी।

©Manish ghazipuri दुनिया की बाते

दुनिया की बाते #मोटिवेशनल

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Manish ghazipuri

कुछ ने साथ निभाया मेरा, कुछ ने की मनमानी थी,
कुछ थी जिद पे अड़ी हुई,कुछ की बातें बेमानी थी।
अभी  कहां  तू थका हुआ है,चहक  एक  रेखा बोली,
पांव चल पड़े खुद बा खुद ही,अभी कहानी बाकी थी।

©Manish ghazipuri रेखाएं

रेखाएं #विचार

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Manish ghazipuri

Black उनके    घर,  मेरा   भी   आना   जाना    था,
रिश्तों  की  थी, तुरपाई,बेहतर ताना बाना था।
सांझ ढले,बैठक में उनके,हंसी ठहाके होते थे,
होती थी तो नई कहानी,पर अंदाज पुराना था।

वक्त के हाथों, जाने कैसे,हम इतने मजबूर हुए,
पास पास थे,जितने ही हम,उतने ही हम दूर हुए।
अब भी शाम,हुआ करती है,अब भी सूरज ढलता है,
रिश्तों की, आवाजाही में,थक कर चकनाचूर हुए।

एक गवाही अभी है बाकी,एक अदालत बाकी है,
एक  मेड़  के  दो छोरों पर,अभी रवायत बाकी हैं।
चले मुंसफी में हम दोनों, अपनी अपनी बात कहे,
एक  कहानी  शुरू  हुई  है, और  कहानी बाकी हैं।

©Manish ghazipuri #thinkdifferent g
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Manish ghazipuri

Life Like हर    आंसू,    हर    दर्द    का    मोल   चुकाते  चलना,
बन      चंदन     हर    उपवन    को,   महकाते   चलना।
घोर  निशा  के  अंधियारे  में, तारो  ने  कब  हार मान ली,
निस्तब्ध रात्रि की नीरवता में, जीवन राग सुनाते चलना

दफन     हुए    जो     बीज,   धरा    के   भूषण बनते,
तपे      हुए    जो      स्वर्ण,    वहीं     आभूषण बनते।
पतझड़  को  आने दो उसमें, नव जीवन का प्राण निहित हैं।
कांटों  में  ही   फूल   खिलेंगे,  बागों  को  बतलाते चलना।

रोज  चिताऐ  जलती  रहती, जीवन  ने  कब  हार मान ली,
कुछ  कलियों  के  मर जाने से,मधुवन ने कब हार मान ली।
राहों   में   हर   पग  पग  पर,जीवन संगीत सुनाते चलना,
हर   पग   पग  पर  राहों में,हरदम अलख जगाते चलना।

©Manish ghazipuri #Lifelike dard
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Manish ghazipuri

पी  ली  सबने अपनी  अपनी,इक  पैमाना  खाली था,
अपनी अपनी खुशियां ले ली,ग़म का खाना खाली था।
खाली   पैमाने  को   लेकर,  हम  भी  थे  चुपचाप खड़े,
नज़र उठा कर जब देखा तो, मयखाना भी खाली था।

सबकी अपनी-अपनी किस्मत, अपने अपने अफसाने थे,
छलक  रहे थे कहीं कहीं, कहीं पे खाली पैमाने थे।
हंसते हंसते रो देते थे,सहसा मौन  कभी  हो जाते,
कहीं गज़ल थी,कहीं रुबाई, दर्द के कितने पैमाने थे।

©Manish ghazipuri पैमाने जिंदगी के♥️♥️❣️♥️

पैमाने जिंदगी के♥️♥️❣️♥️ #शायरी

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Manish ghazipuri

हर   टपकती  बूंद  का  संगीत  हूं  मैं,
जग जिसे ना गा सका  वो गीत  हूं मैं।
जो  हृदय  तक  ना पहुंच पायी कभी,
अनछुई  औ  अनकही वो प्रीत हूं मैं।

ढह   रही   दीवार  कच्ची  भरभरा  कर,
एक  झोंका कह गया कुछ सरसरा कर।
पांव  के    छाले   हमारे   कौन   गिनता,
सूने  आंगन  की  सिसकती  रीत  हूं  मैं।

कौंधती बिजली तड़प कर गिर रही है,
औ  घटायें  मेघ  बनकर  घिर  रही  है।
रात्रि की  निस्तब्धता  को  भेदती  जो 
वेदनाओ  की  प्रबलतम  चीख  हूं  मैं।

अब  उठा  लो अपने कंधों पे मुझे तुम,
इक कहानी सी बना दो अब मुझे तुम।
कोई   पढ़   लेगा,   मुझे  शायद  कही।
कोरे  पन्नों  पर   गढ़ी   तस्वीर   हूं   मैं। 

                                              मनीष।

©Manish ghazipuri #कसक जीवन की

#कसक जीवन की #कविता

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Manish ghazipuri

तुमसे प्यार में अब पहल करने का सोचा है,
तेरे पहलू में ये जिंदगी बहल करने का सोचा है
जो समझ सको तो मेरे अल्फाज तो कबूल करो मोहब्बत मेरी,
वफा सच कहता हूं,
तेरे संग जिंदगी का ये सफर करने का सोचा है 
तुमसे प्यार में अब पहल करने का सोचा है

©Manish ghazipuri
  #mainaurtum इजहारे मोहब्बत ❣️❣️❣️❤️❤️❤️😍

#mainaurtum इजहारे मोहब्बत ❣️❣️❣️❤️❤️❤️😍 #प्रेरक

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Manish ghazipuri

कभी हवाओं से,फितरत हमारी पूछ लेना,
मैं आशिक हूॅ,आवारा नहीं हूॅ।
उड़ी जुल्फों में समा जाऊं, आदत नहीं अपनी,
मैं खूश्बू का हरकारा नहीं हूॅ।
शिकस्त खायी हैं बहुत,जमाने वालों,
अभी तक,मगर हारा नहीं हूॅ।
कोई मन्नत न मांग,ए दोस्त रुक जा,
मैं कोई टूटा,तारा नही हूॅ।
कभी ज़मीं,कभी आसमां,पे नज़र रखता हूॅ,
पांव मिट्टी पे है,बेचारा नहीं हूॅ।

                                             मनीष तिवारी

©Manish ghazipuri #GoldenHhour
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Manish ghazipuri

थोड़े    सपने    उधार    दे     देते,
थोड़ा  सा   हमको  प्यार दे    देते।
हम भी आशिक हैं तेरी गलियों के,
थोड़ी    जन्नत   उधार   दे    देते।

कोई      हंगामा    ना    हुआ    होता,
क्या   हुआ   ये  न   कुछ  पता  होता।
बात ही बात में, हर बात हो गयी होती,
आँखो आँखो   में   बात    कर     देते।

ज़िन्दगी    कौन    सी    नियामत    हैं,
हर    कदम    पे  तो  सिर्फ आफत हैं।
चन्द    सांसो   का   खेल   है   केवल,
थोड़ी      खुशबु     उधार  दे      देते।

हर    खुदायी  खुदा  ने   बख्शी हैं,
तेरी   हस्ती   भी   खूब   हस्ती  हैं।
हमको रुसवा किया कमी क्या थी,
थोड़ी     हस्ती     उधार   दे   देते।

ये  इबादत  तो  इक बहाना था,
तेरी गलियों में आना जाना था।
फूलों कलियो में उलझता कैसे,
थोड़े   काँटे    उधार   दे    देते।

©Manish ghazipuri #uskaintezaar
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