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sunilnagarsrgm7655
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Sunil Nagar 'srgm'

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Sunil Nagar 'srgm'

#Eid
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Sunil Nagar 'srgm'

#eid_mubarak
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Sunil Nagar 'srgm'

White दुआओं में असर ज़िंदा पूरी उम्मीद हो जाएँ,
मुक़म्मल ज़िदगी होगी  ख़ुदा की दीद हो जाएँ,
ग़रीबों-मुफ़लिसों की ख़िदमतें जो हो गई तुमसे,
दीदार-ए-चाँद का होकर तुम्हारी ईद हो जाएँ।।

©Sunil Nagar 'srgm' #eidmubarak
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Sunil Nagar 'srgm'

क्या लिखूँ मैं ज़िंदगी में शामिल, हूँ कौन पढ़ लेना। 
मैं चुप रहूँ लेकिन , तुम मौन पढ़ लेना।।

©Sunil Nagar 'srgm' #poem
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Sunil Nagar 'srgm'

राम  रामेति  रामे  रमेंगे  सदा ,
दीप ख़ुशियों के जगमग जलेंगे सदा ,
हो गई है प्रतीक्षा पूरी आज तो ,
राम अपने ही घर में बसेंगे सदा।

©Sunil Nagar 'srgm' #राममंदिर
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Sunil Nagar 'srgm'

🌻सरस्वती वंदना🌻

अंधकार का भेदन करती
 जगजननी माँ शारदे ,
हाथ जोड़कर वंदन करते 
भव-सागर से तार दे। 

बुद्धिहीन हम शरण में तेरी
 ज्ञान की ज्योति जलाओं ,
महिमा तेरी गाऊँ भवानी 
अनहद नाद जगाओं । 
       रसना में रस का आस्वादन 
       सोहं की झंकार दे। 
 हाथ जोड़कर वंदन करते ,भवसागर से तार दे।। 

वीणापाणि तुम ही वाणी 
वीणा का वादन हो तुम,
काव्य गुणों की शक्ति तुम से 
गीतों का गायन हो तुम ,
कंठ विराजित होकर माता,
गायन का अधिकार दे।।२।।
      हाथ जोड़कर वंदन करते,भवसागर से तार दे।

छंद लयों का ताल तुकों का ,
गण की गणना का नियम ,
राग-अलापों ,यति-गति का, 
 सप्त स्वरों की हो सरगम,
   अक्षर-अक्षर शोभित होवें,
    शब्दों का संसार दे।।३।।
हाथ जोड़कर वंदन करते,भवसागर से तार दे।

 विनयशीलता की सृष्टि में , 
मद का कोई अंश न हो ,
कपट रहित व्यवहार करें सब ,
जग में  कोई ध्वंस न हो।
      जीवन जीना तभी सफल माँ ,
       'सरगम" में कुछ सार दे।।४।।
हाथ जोड़कर वंदन करते,भवसागर से तार दे।।

©Sunil Nagar 'srgm' #सरस्वतीवंदना
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Sunil Nagar 'srgm'

🌺 माँ 🌺

माँ मंदिर की मूरत है ,माँ ईश्वर की सूरत है,
माँ क्या-क्या उपमा दे दूँ ,हर उपमा पर भारी है। 

उपमा, रूपक, श्लेष, यमक है,
अलंकार की वही चमक है।
आभा जिससे आभित होती ,
हर आभा की वही दमक है।।
         अनमोल कृति परमेश्वर की,
          परमेश्वर से न्यारी है ।।१।।
                   माँ क्या-क्या उपमा------।

शांत भाव करुणा की सागर ,
वत्सलता की  पावन गागर ।
ममता के उद्रेक भाव पर  ,
होता रसराज न्योछावर ।।
         भाव स्वयं ही द्रवित हो जाते ,
        प्रेम-त्याग बलिहारी है।।२।।
            माँ क्या-क्या उपमा-------।

शब्द शक्ति से परे शब्द 'माँ' ,
काव्य-दोष को हरे शब्द 'माँ' ,
हर प्रसंग के संदर्भों पर ,
गूढ़ अर्थ को धरे शब्द 'माँ'।।
       पावन मंत्र,साधना ,सरगम 
      माँ वाणी अवतारी है।।३।।
        माँ क्या-क्या उपमा---।

  सुनील नागर "सरगम"

©Sunil Nagar 'srgm' #motherlove
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Sunil Nagar 'srgm'

*ग़ज़ल*

बड़ी बातें नहीं करनी बड़ा कुछ कर दिखाना है ,
निशाना चूक ना पाएँ सफलता ही निशाना है। 

नदी की राह में पत्थर न रोकेंगे कभी रस्ता ,
पता है रुक नहीं सकती समंदर ही ठिकाना है।

अतीतों से उभरकर के नए सपने सँजोना अब ,
सभी विपदा से लड़कर के स्वयं रस्ता बनाना है। 

किसी पत्थर के सीने से कोई झरना निकल आया ,
थके-हारे मुसाफ़िर की पिपासा को बुझाना है। 

चुनौती से भरीं राहों में चलना भी नहीं आसां,
समंदर के बड़े सीने पे छोटा पुल बनाना है। 

ग़मों के दौर का आना ख़ुशी की आहटें समझो ,
अँधेरे की घनी छाया में इक दीपक जलाना है।

बड़ा मक़सद है जीने का समझ लो बात ये 'सरगम',
मिलें ना जब तलक मंज़िल नहीं आराम पाना है।। 

   सुनील नागर "सरगम"

©Sunil Nagar 'srgm' #सफलता_की_राह
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Sunil Nagar 'srgm'

🌷गीत अमर हो जाएगा 🌷

गीत में अभिव्यंजना हो ,
भावों में संवेदना हो ।
प्रेम के रंग में रंगे तो, गीत अमर हो जाएगा।।

भावनाओं की तूलिका,
चित्र जब उर में बनाती।
गढ़ती है प्रतिबिंब अपना ,
आत्मा का बोध कराती।।
          मन के दर्पण में सहेजो ,   
          चित्त में यदि चेतना हो।।१।।
गीत में-----भावों में ------प्रेम के रंग में रंगे-------।

तार झंकृत कर हृदय के,
तुष्टि मानस को मिलें तो।
प्रेम की फुलवारियों में ,
पुष्प समता के खिलें तो।।
        ऊर्ध्वगामी काव्य-रचना 
        ऊर्ध्व जीवन-कल्पना हो।।२।।
गीत में-----भावों में------प्रेम के रंग में-------।

केंद्र-बिंदु भावना ही ,
अर्चना-आराधना का ।
काव्य की अनुपूर्ति में ,
योग होता साधना का।।
      साधकों की वृत्तियों से ,
     सर्व में सद्भावना हो।।३।। 
 गीत में-------भावों में-----प्रेम के रंग में रंगे--------।

          सुनील नागर 'सरगम'

©Sunil Nagar 'srgm' #emotions
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Sunil Nagar 'srgm'

🌷गीत अमर हो जाएगा 🌷

गीत में अभिव्यंजना हो ,
भावों में संवेदना हो ।
प्रेम के रंग में रंगे तो, गीत अमर हो जाएगा।।

भावनाओं की तूलिका,
चित्र जब उर में बनाती।
गढ़ती है प्रतिबिंब अपना ,
आत्मा का बोध कराती।।
          मन के दर्पण में सहेजो ,   
          चित्त में यदि चेतना हो।।१।।
गीत में-----भावों में ------प्रेम के रंग में रंगे-------।

तार झंकृत कर हृदय के,
तुष्टि मानस को मिलें तो।
प्रेम की फुलवारियों में ,
पुष्प समता के खिलें तो।।
        ऊर्ध्वगामी काव्य-रचना 
        ऊर्ध्व जीवन-कल्पना हो।।२।।
गीत में-----भावों में------प्रेम के रंग में-------।

केंद्र-बिंदु भावना ही ,
अर्चना-आराधना का ।
काव्य की अनुपूर्ति में ,
योग होता साधना का।।
      साधकों की वृत्तियों से ,
     सर्व में सद्भावना हो।।३।। 
 गीत में-------भावों में-----प्रेम के रंग में रंगे--------।

          सुनील नागर 'सरगम'

©Sunil Nagar 'srgm'
  #NatureLove
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