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manjulodha2939
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Manju Lodha

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Manju Lodha

प्रति दिन हमें मिलता है एक नया दिन, एक दिन में होते है 24 घंटे ,
उन 24 घंटों में से 12 घंटे निकल जाते हैं दैनिक दिनचर्या, सोने और जागने में।
उसके पश्चात जो बचते है 12 घंटे, अपने दैनिक रोजमर्रा और जरूरी कामों के बीच हम सभी अपना कुछ समय खाली निकाल लेते हैं,
और उस खाली समय को हम अपने
शौक को निखारने में, अपने हुनर को बाहर लाने में उपयोग करते हैं।
मै अपना खाली समय अपनी मनपसंद चीजों के साथ बिताती हूं,
उस समय मैं क़िताबें पढती हूं, कविताएं लिखती हूं,
गाने गाती हूं, नृत्य भी करती हूं,
रसोईघर में जाकर अपना मनपसंद व्यंजन भी बनाती हूं, पोते  पोतियों के साथ खूब खेलती हूं, उन्हें कहानियां सुनाती हूं,  उनके साथ वीडियोज बनाती हूं, सखियों से मिलती हूं, फूलों से बतियाती  हूं , पेड़ पौधे लगाती हूं,अपने जीवन के हर पल को जीती हूं।
और अक्सर खाली समय  निकाल लेती हूं उन लोगों के लिए,
जो मुझसे अपने मन की बातें करना चाहते हैं ,
उस समय मैं उन्हें अपने कानों का दान करती हूं,
जो मुझसे बन सकता है  उनकी समस्याओं को सुलझाने की कोशिश करती हूं।  जब मैं  एक जगह से दूसरी जगह जा रही होती हूं , गाड़ी में बैठी रहती हूं कभी ट्रैफिक में फंस जाती हूं,उस समय का उपयोग मैं प्रकृति को निहारने में लगाती हूं, फोन पर बातचीत कर लेती हूं, अपने कई कार्यों की रुप रेखा बना लेती हूं।
पल-पल मैं अपने खाली समय का उपयोग करती हूं,
और मेरा वह खाली समय सार्थक बन जाता है ,
भरे हुऐ समय से भी मेरा वह समय 
अधिक मुल्यवान बन जाता हैं।
तो आओ हम सब अपने-अपने 
खाली समय को युं ही व्यर्थ न जाने दे, 
क्योंकि बीता हुआ क्षण कभी 
लौट कर नहीं आता।
एक बात बताऊं,
 मैं कभी व्यस्त नहीं होती 
हमेशा खाली रहती हूं।
 और उस खाली समय 
को जी भर कर जीती हूं l
मंजू लोढ़ा स्वरचित

©Manju Lodha #Thoughts

9 Love

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Manju Lodha

क्रोध एक कषाय है, जो दुसरों से ज्यादा
स्वयं को जलाता है। क्रोध अंधा होता है
साधु को चंडकोशिया नाग बना देता है।
क्रोध की अग्नि में, रिश्ते जल जाते हैं
भाई-भाई का दुश्मन हो जाता है। क्रोध की गति बुरी
क्रोध में इंसान जानवर बन जाता है
भला-बुरा सब भूलं जाता है। क्रोध आने पर दर्पण देखो
खुद की शक्ल वीभत्स दिखने लगेगी
आईना भी डर से कांपने लग जाता है।
क्रोध जहर होता है रोम रोम में धुलकर
खुद को तड़पा तड़पा कर मारता है।
एक क्षण का क्रोध भवों भव बिगाड़ देता है
परिवार खत्म कर देता है कोई खुनी बन जाता है
कोई खुद को खत्म कर देता है।
क्रोध आने पर आपा मत खोओ
एक से १०० तक की गिनती गिनो
आजमाकर देखो क्रोध शांत हो जाता है।
जिसे अतिशय क्रोध आता है
चंद्रप्रभु दादा की, चंद्र की, पूजा करे, उनका जाप करें
धीरे-धीरे जीवन में शीतलता भर जायेगी
देखो फिर कैसे क्रोध का छूमंतर हो जाता है।
क्रोध से बचों क्रोध से बचो 
क्रोध के सौ अवगुण
शांति अपनाओ शांति अपनाओ
शांति के हजार गुण
क्रोध से जीवन नरक बन जाता है
शांति से स्वर्ग बन जाता है।
 मंजू लोढ़ा स्वरचित

©Manju Lodha क्रोध

#candle

क्रोध #candle #कविता

9 Love

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Manju Lodha

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©Manju Lodha गर्मियों की छुट्टियां।

गर्मियों की छुट्टियां। #कविता

7 Love

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Manju Lodha

मेरी मातृभूमि, मेरा राजस्थान, वीर योद्धा, ऋषि, मुनि, संत की मातृभूमि,
यहां के कण-कण में वीरता की महक, दरों-दीवार में स्वामीभक्ति की मिसाल,
किले-दुर्ग, महल, मंदिर और रेगिस्तान, बलिदान एवं शौर्य का धनी मेरा राजस्थान । 
वीर प्रसूता इस पावन भूमि पर, स्वराज्य सूर्य महाराणा प्रताप का प्रण,
हल्दीघाटी का रण और चेतक का बलिदान, अदम्य साहसी राणा सांगा और उनकी तलवार,
अस्सी घाव खाकर भी जो करे दुश्मनों का संहार, बलिदान एवं शौर्य का धनी मेरा राजस्थान।

सुनकर कविवर चंदवरदाई की प्रेरक वाणी,  पृथ्वीराज ने हार को जीत में बदलने को ठानी,
शब्दभेदी बाण से, भेद दिया दुष्ट गोरी का सीना, कटा सिर रण में वीर जुंझार का, फिर भी धड़ लड़ता रहा
जबतक खत्म न हुआ शत्रु, वह का संहार करता रहा। जयमाल राठौड़, 
रायमलोत कल्ला की अद्भूत वीरता,
अमर सिंह और जैतसिंह चुण्डावत की आन-बान-शान, 
राजकुमारी रत्नावती और वीर बाला चम्पा का त्याग
रानी पदमनी और उनकी सखियों का जौहर, रतन सिंह चूङावत को हाड़ा रानी का उपहार,
कर्णावती की वह राखी और भामाशाह का दान बलिदान एवं शौर्य का धनी मेरा राजस्थान।

भक्त शिरोमणि करमा बाई की भक्ति, योगन राजकुमारी मीरा का कृष्णभक्ति,
स्वामिभक्त पन्नाधाई का कर्तव्य-पूर्ति, वीरांगना रानी बाघेली का बलिदान,
यहां के कण-कण में वीरता की महक, बलिदान एवं शौर्य का धनी मेरा राजस्थान । 
राजाओं-महाराजाओं की यह भूमि महल-हवेलियों, बुर्ज की यह भूमि
धुमर-कलबेलिया की भूमि हस्तकलाओं-कविताओं की भूमि
इसके रग-रग में कलाओं का भंड़ार
बलिदान एवं शौर्य का धनी मेरा राजस्थान । 

सुखी है मेरी भूमि, पर उपजाऊ है,
देवलोक भी तरसे यहां जन्म पाने को, मरूस्थल कहते है इसको पर,
देखो, चारों ओर उल्लास का मरूधान है, गुलाबी नगरी इसकी राजधानी तो ,
रंग-बिरंगा इसके तीज-त्योहार है। परिधान राजसी, लोगों के दिल ठाठसी
खान-पान में रईसी, वीरता इसकी पहचान है।
बलिदान एवं शौर्य का धनी मेरा राजस्थान है । 

जय-जय राजस्थान, जय जय मारवाड़

©Manju Lodha मेरी मातृभूमि, मेरा राजस्थान,

मेरी मातृभूमि, मेरा राजस्थान, #कविता

5 Love

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Manju Lodha

मेरी कविताएं की डायरी
     डायरी नहीं दिल है यह मेरा, 
इस दिल के हर पन्ने पर लिखी है 
कविता के रूप में दास्तान मेरी।
कभी शब्द खुशियों के जलतरंग से बजने लगते हैं,
 कभी उनमें उदासी की शहनाई गूंजने लगती है।
बीता हुआ हर लम्हा उसमें खूबसूरती से सज जाता हैं।
जब कभी मन उदास होता है डायरी के पन्नों से कुछ पल बाहर निकल कर उसके चारों तरफ नृत्य करने लगते हैं
 और उदासी खुशियों के संग बतियाने लगती हैं।
डायरी नहीं यह तो परछाई है मेरी, 
मेरे हर कदम की संगिनी है  यह तो। 
कवितायें  लिखा करो,अनुभवों को बांटा करो, 
अपने मन की हर बात को कविताओं के रूप में
 पन्नों पर सजाया करो और जीवन के 
हर तनाव को लिखावट में बह जाने दिया करो।

©Manju Lodha #WorldPoetryDay
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Manju Lodha

निगाहों से जब निगाहें टकरायी, दिल बेसुध हुआ ,
खता निगाहों ने की, तड़पना दिल को पड़ा।
तीर सी चुभी उनकी निगाहें,
घायल हो गया तन - मन
अब किसको दोष दे , किसको दे सज़ा ,
मरहम भी बन गई वही प्यार भरी निगाहें।

जब भी किसी से निगाहें मिलाओ,
 जरा बचकर निकल जाना ,
सारी उम्र का रोग मत लगा लेना,
बेमौत मर जाओगे,
फ़िर ना कहना चेतावनी नहीं दी ।
निगाहें कातिल होती हैं, कतल करना  खुब जानती हैं ,
किसी के दर्द की उसे क्या परवाह, वह तो बस घायल करना जानती हैं।  
  निगाहों में बसता है प्यार, वो जिसे चाहे उसे हसीन बना देती हैं, 
यह मजनू की ही आंखें थी, जिनमें लैला बसती थी, 
मजनू की निगाहों में लैला दुनिया की सबसे खूबसूरत महिला थी।

©Manju Lodha निगाहों से जब निगाहें टकराई...
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#FridayReads #poem #poems #kavita #nigaahein #friday #lovepoem #manjulodha #poetess

निगाहों से जब निगाहें टकराई... . . #FridayReads #poem #poems #kavita #Nigaahein #Friday #lovepoem #manjulodha #poetess #शायरी

7 Love

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Manju Lodha

खत 
कभी जब यूं अकेली बैठी होती हूँ,
यादों की लहरों मे डूबती उतरती रहती हूँ
कभी खोल देती हूँ चिठ्ठियों का वह बक्सा
जिसमें न जाने कितनी बातें भरी हुई हैं,
एक-एक खत हाथों से उठाती हूं,
उसकी सुगंध में जैसे सारोबार हो उठती हूँ, एक जमाना था कितना इंतजार रहता था खतों का ,गली के चौराहे पर सुबह शाम इंतजार करते थे डाकिए का ,उसे देखते ही चेहरे पर खत पाने की उम्मीद भरी खुशी छा जाती थी। खत मिलते ही डाकिया बाबू को धन्यवाद देती, कभी-कभी इनाम भी  देती। उस जमाने में हर गली, हर मोहल्ले के घर को उसका इंतजार रहता और वह भी खुशी खुशी हर घर पर चिट्ठी पहुंचाया करता। किसी गमगीन चिट्ठी पर वह भी दुख से भर जाया करता। मानवीय संवेदनाओं  से सब जुड़े रहते। आज भी याद है और धरोहर के रूप में सुरक्षित हैं वह सारे घर खत।
सगाई के बाद के वह खत ,
नये जीवन की आधारशीला के वह 
प्यार की चाशनी में डूबे खत ,
शादी के पश्चात माता-पिता के
आशीर्वाद भरे खत,
भाई-बहनों की मीठी मीठी बातों के खत,
सखी सहेलियों के मजाक मे भीगे खत,
खत नहीं जैसे सारा संसार उसमें समाया है,
हाथों का एहसास ही बदल जाता है,
आज कप्युटर, नई टेक्नोलॉजी के युग में
न जाने वह हाथो से लिखे खत कहाँ दफन हो गये है?
अब यांत्रिक रूप में सब लिख डालते हैं,
पर वह हाथ से लिखे खतों की बेकरारी,
वह अनुभुति दूर रहकर भी पास की रहने की 
वह न जाने कहाँ खो गयी है, क्या कोई खत, खत हो सकता है ?
जिसे हाथों से न छू सके, जिसके एहसास को सांसों में न भर सकें, 
जिसकी  महक को   दिल महसूस न कर सके ?
सुगंध में लिपटे वह खत, मोतियों के दानों के जैसे वह खत,
अंदर से लिखा वह एक-एक शब्द आज भी दिल सागर में तैरता है,
जो कुछ अनलिखा था वह भी कह जाता है, और जीवन में एक नई मिठास खोलकर
फिर युवा बना जाता है।.  आज फिर इंतजार है ऐसे ही एक खत का।
- मंजू लोढा़, स्वरचित

©Manju Lodha #चिट्ठी
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Manju Lodha

जिंदगी हरदम भागती रहती है ,दौड़ती रहती है, किसी मोड़ पर  ठहराव की बहुत आवश्यकता होती है। यह ठहराव, बेहद जरूरी है पीछे झांकने के लिए और आगे बढ़ने के लिए। इस ठहराव से हम देख सकते हैं कि अतीत में क्या हुई हमसे गलतियां और आगे का रास्ता कैसे करना है हमें तय ।  ठहराव जिंदगी में आगे बढ़ने के लिए नई हिम्मत देता है,नई  उम्मीदें लाता है। अगर इंसान बिना ठहरे बिना रुके दौड़ता ही रहे तो अंधी खाई में गिरने का डर रहता है, बिना मकसद, आसपास की खुशियों को नकारता हुआ उन्हें महसूस किए बिना न जाने क्या पाने को भागता रहता है और जब समय हाथ से निकल जाता है तो पछताने के सिवा कुछ नहीं रहता। क्यों नहीं जिंदगी में कुछ ठहराव लाये, परिवार के साथ समय बिताएं  बच्चों और उनके बच्चों के साथ हंसी खुशी का जीवन बिताएं, माता-पिता की छांव में शांति की नींद सोए। जिंदगी गुजर जाती है समय हाथ से निकल जाता है, इसलिए जितना भी समय है उसे अच्छे से बिताये,  अपनों के संग बिताए। ठहराव जिंदगी को, जीने के लिए बहुत जरूरी है।

©Manju Lodha #walkingalone
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Manju Lodha

आम मंजरी में कोयल कूक रही है, कानों में मीठा मधुर रस घोल रही है, चारों तरफ छाया है बसंत, बहार ही बहार है, पीली पगड़ी- पीली सरसों, ढोल नगाड़े, बज रहे मंजीरे हैं, अमराई में झूले पड़े हैं, राधा रानी सखियों संग झूल रही है, श्री कृष्ण की बांसुरी बज रही है, गोप -गोपियां, पशु- पक्षी नाच रहे हैं, यमुना का पानी भी हिलोरे ले रहा हैं। बसंत के परों पर सवार होकर, वसंत दूत बनकर खुशियां घर घर द्वार खटखटा रही हैं, पतझड़ बीत गया बसंत  आ गया है,आओ मिलजुल कर नाचे -गाये- आनंद मनाएं, आम मंजरी में बैठकर फलों के राजा आमों को निहारे, होली के स्वागत की तैयारी करें, टेशु पलाश के रंग बिखराए ,इस वसंत में मैल मन का मिटाये।

©Manju Lodha
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Manju Lodha

सहेलियां 👭

सहेलियों के संग  जब महफिल जमती हैं,
जिंदगी बेइंतहा  खुशनुमा बन जाती हैं,
हर दुख दर्द की यह दवा बन जाती हैं,
उम्र तो मानो कहीं ठहर जाती है,
बच्चों से हम  नटखट नादान बन जाते हैं,
हंसी- मजाक- सताना- रूठना -मनाना,
जीवन के सभी रंगों को फिर से जी लेते हैं,
फिर युवा बन जाते हैं, ठहाकों से माहौल गूंज जाता हैं,
हंसी और खुशी से महफिल सजती है, यादों की महकती पोटली को बांध
फिर जीवन को दोगुने उत्साह से जीने को घर की तरफ लौट आते हैं।
किसी ने क्या ख़ूब कहा हैं, "बच्चे वसीयत पूछते हैं,
रिश्तेदार हैसियत पूछते हैं, एक दोस्त ही होते है
जो खैरियत पूछते है।" तो बस जब मिले मौका
सखियों के संग मिल बैठ बतियाये, उम्र की हर दहलीज को
मुस्कुराते हुये, हंसते गाते चिंता रहित पार कीजिये।

©Manju Lodha #FriendshipDay
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